नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सूर्य देव का खास स्थान है। सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता भी कहा जाता है यानी ऐसे देवता जिन्हें हम देख सकते हैं। पुराणों में ये बताया गया है कि भगवान विष्णु अगहन महीने के देवता है और सूर्य भगवान इन्ही का एक रूप हैं ऐसे में इन्हें सूर्य नारायण भी कहा जाता है। शुक्रवार को सप्तमी तिथि थी आज 12 दिसंबर, रविवार होने से इस दिन सूर्य पूजा का महत्व रहेगा।
अदिति के गर्भ से मित्र रूप में हुए थे प्रकट
नारद पुराण में ये कहा गया है कि कश्यप ऋषि के तेज और अदिति के गर्भ से मित्र नाम के सूर्य की उत्पत्ति हुई थी। जो कि असल में भगवान विष्णु की दाईं आंख की ही शक्ति थी। ऐसे में इस तिथि में शास्त्रोक्त विधि से उनकी पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। सूर्य देव के मित्र रूप की पूजा करने के बाद सात ब्राह्मणों को भोजन भी करवाया जाना चाहिए। इसके बाद उन्हें श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी चाहिए। अब ये सब करने के बाद खुद भोजन करें। इस तरह व्रत करने से सूर्य देव अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
क्या है इस तिथि का खास महत्व
– ऐसा कहा जाता है कि अगहन महीने में सप्तमी और रविवार को सूर्य पूजा करने से उतना ही फल मिलता है जितना की कार्तिक की छठ पूजा करने से मिलता है।
– कहा जाता है मार्गशीर्ष महीने में किसी पवित्र नदी या फिर किसी तीर्थ में स्नान करके उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।
– सूर्य देव को जल चढ़ाते समय सूर्य के मित्र स्वरूप की पूजा भी करनी चाहिए। इस दौरान ऊँ मित्राय नम: मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दिया जाता है।
– अगहन महीने में ही धान की नई फसल के आने पर किसान इस नए धान और अन्न को सूर्य देवता को चढ़ाते हैं।
– अगर हो सकते तो मार्गशीर्ष के रविवार को सूर्य पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को श्रद्धानुसार गर्म कपड़े, अन्न, गुड़, तांबे के बर्तन, कंबल, बिस्तर और अन्य जरूरी चीजों का दान किया जाना चाहिए।
– यहां ध्यान रखें कि इस दिन बिना नमक का व्रत रखा जाता है। ऐसे में गलती से भी दिनभर में किसी भी तरह से नमक का सेवन करने से बचें।