newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Sawan 2022: क्यों चढ़ाते हैं भोलेनाथ को भांग धतूरा बेलपत्र और जल?, जानिए क्या है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी?

Sawan 2022: महादेव सच्चे मन से अर्पित किए गए भांग, बेलपत्र, धतूरा और एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये सभी वस्तुएं उनकी प्रिय वस्तुएं कैसे और कब बनीं? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. तो कौन सी है वो कहानी आइये जानते हैं…

नई दिल्ली। जुलाई माह सावन का महीना होता है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को इस महीने का काफी महत्व होता है। सावन के महीने में व्रत रखने और सच्चे मन से महादेव की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी मंहगी वस्तु की जरूरत नहीं होती है। महादेव सच्चे मन से अर्पित किए गए भांग, बेलपत्र, धतूरा और एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महादेव ने अपने भक्तों में कभी फर्क नहीं किया। देव हो या असुर उन्होंने सभी को वरदान प्रदान किए हैं। भोलेनाथ के केवल श्रद्धा भक्ति और सच्चे मन से की गई सेवा भाव देखते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं ये सभी वस्तुएं उनकी प्रिय वस्तुएं कैसे और कब बनीं? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. तो कौन सी है वो कहानी आइये जानते हैं…

शिव महापुराण में वर्णित कथा के अनुसार, देव और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान कई प्रकार के रत्नों, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी आदि की उत्पत्ति हुई थी। इसी मंथन में अमृत निकलने से पहले विष भी निकला था। इस हलाहल विष के प्रभाव से दसों दिशाएं जल उठी थीं। पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया था। तब भगवान शिव ने आगे आकर इस हलाहल विष का पान कर लिया था। लेकिन उन्होंने उसे गले से नीचे नहीं उतरने दिया था, इससे उनका कंठ नीला पड़ गया था और इसी वजह से उनका एक नाम ‘नीलकंठ’ भी पड़ गया। विष का प्रभाव धीरे-धीरे भगवान शिव के मस्तिष्क पर चढ़ने लगा और वे अचेत अवस्था में आ गए। भोलेनाथ की ऐसी अवस्था देखकर सभी देवी-देवता चिंता में पड़ गए। देवीभागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, महादेव को इस स्थिति से निकालने के लिए मां आदि शक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने कई जड़ी-बूटियों और जल का प्रयोग कर भोलेनाथ का उपचार किया।

मां भगवती के आदेश पर सभी देवी-देवता महादेव के सिर पर भांग, आक, धतूरा व बेलपत्र रखकर निरंतर जलाभिषेक करने लगे। ऐसा लगातार करते रहने से महादेव के मस्तिष्क का ताप कम हुआ। तभी से भगवान शिव को भांग, बेलपत्र, धतूरा और आक चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। आर्युवेद में भांग व धतूरा को औषधि बताया गया है। वहीं शास्त्रों में बेलपत्र के तीन पत्तों को रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक बताया गया है। अगर इसे सीमित मात्रा मे ग्रहण किया जाए तो ये औषधी के रूप में कार्य करता है  और शरीर को गर्मी प्रदान करता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।