
नई दिल्ली। त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है। 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। लोग अपने घरों में घट स्थापना करते हैं। जगह-जगह माता के पंडाल सजाए जाते हैं। मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है। नवरात्र में लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं, जिसमें अनाज, फलाहार आदि खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं। लेकिन वहीं, जो लोग व्रत नहीं रखते, वो भी मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का त्याग कर सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं। लेकिन क्या आप नवरात्र में लहसुन-प्याज न खाने का कारण जानते हैं? अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको इसके कारणों के बारे में बताते हैं…
सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के दौरान लहसुन-प्याज खाना वर्जित माना जाता है। कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तो उसमें 9 रत्नों के निकलने के बाद अंत में अमृत की उत्पत्ति हुई थी। इस अमृत को देवताओं में समान रूप से बांटने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। उसी दौरान दो दानव राहु-केतु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया था। भगवान विष्णु को इस बात का आभास होते ही उन्होंने सुदर्शन चक्र से उन दानवों का सिर धड़ से अलग कर दिया। इससे निकली खून की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिरीं। इन्हीं बूंदों से लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई। लहसुन प्याज से तीखी गंध आने का भी यही मुख्य कारण है। इसके अलावा, लहसुन प्याज न खाने का एक दूसरा कारण ये भी बताया जाता है कि लहसुन प्याज का अत्यधिक प्रयोग करने से इंसान का मन भटकता है।
पूजा में पूरी तरह से मन लग सके इसलिए भी लहसुन प्याज को खाना वर्जित है। इसके वैज्ञानिक कारणों की बात करें, तो शारदीय नवरात्रि अक्टूबर-नवंबर के महीने में पड़ता है जब सर्दी के आने और गर्मी के मौसम के जाने का समय होता है। मौसम का ये बदलाव शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करता है। लेकिन वहीं, सात्विक भोजन के सेवन से डाइजेशन तो ठीक रहता ही है, बॉडी भी डिटॉक्स होती है।
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