स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) जी के जीवन में घटित हुए अनेक प्रसंगों और उनके कथनों के माध्यम से हमें उनके विचारों का पता चलता है। रेल गाड़ी में उद्योगपति जमशेदजी टाटा से हुई उनकी भेंट और वार्ता का भारत के उद्योग और विज्ञान दोनों ही क्षेत्रों पर विशेष असर पड़ा। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम अनेक अवसरों पर यह बता चुके हैं कि भारत का पहला स्वदेशी विज्ञान शोध संस्थान (जिसे अब बंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस कहते हैं) स्वामी जी द्वारा श्री टाटा को दिए गये सुझाव का ही प्रतिफल था।