
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने जो सख्त कदम पाकिस्तान के प्रति उठाए हैं, वह ठीक है। पर इतने से काम नहीं चलने वाला। इसके लिए निर्णायक कदम उठाए जाने की जरूरत है। फिर चाहे वह रणनीतिक स्तर पर हो, कूटनीतिक स्तर पर हो या वैचारिक स्तर पर हो। हर जख्म का हिसाब होना ही चाहिए। दशकों से भारत की हवा में जहर घोल रहे पाकिस्तान के इस कदम पर प्रतिक्रिया अभूतपूर्व होनी चाहिए। एक ऐसी मुहर पाकिस्तान के माथे पर लगाए जाना जरूरी है जिसे वह चाहकर भी न मिटा सके।
जब जवाब देना जरूरी हो जाए तो फिर कार्रवाई की सीमाएं तय नहीं होतीं। आतंकियों को पोषित करने वाला इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान, पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब सफाई देने में जुटा है। साथ ही साथ गीदड़ भभकी भी दे रहा है। जिस तरह पाकिस्तानी आतंकियों ने निर्दोष लोगों की बर्बरता से हत्या की, इसका प्रत्युत्तर पाकिस्तान को ऐसा मिलना चाहिए कि पाकिस्तान की आने वाली नस्लें ख्वाब में भी भारत का बुरा न सोच सकें। पाकिस्तान ने जो किया, यह कोई सामान्य आतंकी हमला नहीं है — यह सीधे तौर पर भारत की अखंडता, सम्प्रभुता और सभ्यता पर सीधा और सुनियोजित युद्ध है। यह हमला पाकिस्तान की कट्टर मजहबी सोच से उपजा है, जो पाकिस्तान की रगों में बहती है, जिसे वह बड़े गर्व से ‘जिहाद’ कहता है।
इस्लामी आतंकवाद की जड़ में मजहब के नाम पर काफिरों के नरसंहार को न्यायोचित ठहराया गया है। पाकिस्तान आज इस विचारधारा का सबसे बड़ा उत्पादक, पोषक और निर्यातक बन चुका है।
केंद्र सरकार ने पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए कायराना हमले के बाद कुछ कठोर कदम उठाए हैं। यह कदम स्वागत योग्य हैं, लेकिन पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी देश के लिए बस इतने से काम नहीं चलेगा। हमें अब एक निर्णायक मोर्चा खोलना होगा—सीधा, स्पष्ट और अंतिम लड़ाई का बिगुल। हमें पाकिस्तान को उसकी औकात दिखानी ही होगी, और साथ ही, उन भारत-विरोधी ताकतों को भी, जो देश के भीतर या विदेशों में बैठकर इस्लामी आतंक के लिए विचारधारा के स्तर पर कवच तैयार करते हैं। पाकिस्तान को हर उस मंच से बहिष्कृत करना होगा जहां वह खड़ा दिखाई देता है।
सबसे पहले, पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करना चाहिए और उसे शत्रु राष्ट्र का दर्जा देना चाहिए। जो भी उसकी तरफदारी करे उसे भी भारत का शत्रु मानना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पूर्णतः बंद होना चाहिए। यह सिर्फ सीमावर्ती व्यापार नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर होना चाहिए। भारतीयों की सैकड़ों कंपनियां विदेशों में चल रही हैं। इन कंपनियों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी काम करते हैं। बहुत से पाकिस्तानी प्रत्यक्ष रूप से इन कंपनियों से लाभ लेते हैं। यह तत्काल बंद किए जाने की जरूरत है। सभी पाकिस्तानियों को इन कंपनियों से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। साथ ही हर भारतीय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने किसी भी सौदे में पाकिस्तान को एक रुपया नहीं कमाने देगा।
आचार्य चाणक्य ने कहा— कृते प्रतिकृतं कुर्याद् हिंसने प्रतिहिंसनम्। तत्र दोषो न पतति दुष्टे दुष्टं समाचरेत्॥ इसका अर्थ है—जो उपकार करे, उसका उपकार से ही बदला देना चाहिए। जो हिंसा करे, उसका प्रतिहिंसा से ही जवाब देना चाहिए। ऐसा करने में कोई दोष नहीं लगता, क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। इसलिए हमें पाकिस्तान पर मानवता के नाम पर की जाने वाली दया का भी त्याग करना होगा। दवाइयां, अनाज, सहायता—कुछ नहीं भेजा जाना चाहिए। पाकिस्तान हमेशा से भारत की सहनशीलता को कमजोरी समझता आया है। अब उसे भारत का प्रतिकार भी दिखाए जाने की जरूरत है।
पाकिस्तान के साथ खेलों का बहिष्कार करना चाहिए। भारत को राजनयिक स्तर पर आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) पर उसे बाहर करने के लिए भी दबाव बनाना चाहिए। पाकिस्तान को भारतीय वायुमार्ग के इस्तेमाल करने पर पूरी तरह पाबंदी होनी चाहिए। इसी तरह अपना समुद्री मार्ग भी पाकिस्तान को प्रयोग करने की किसी सूरत में अनुमति नहीं होनी चाहिए। जो देश पाकिस्तान से संबंध बनाए रखते हैं लेकिन उसके आतंक की निंदा नहीं करते, उनके विमानों के लिए भी भारत को अपना वायु क्षेत्र प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
करतारपुर कॉरिडोर जैसी ऐतिहासिक भूलों को तत्काल सुधारे जाने की जरूरत है। पाकिस्तान धार्मिक आस्था की आड़ में इस गलियारे का प्रयोग भारत के विरुद्ध खालिस्तानी जहर फैलाने के लिए करता है। इसलिए इसको बंद किया जाना बेहद जरूरी है। विदेशों में ‘इंडियन रेस्टोरेंट’ के नाम से बहुत से पाकिस्तानी रेस्टोरेंट चला रहे हैं। भारत को विदेश में रहने वाले या घूमने जाने वाले भारतीयों को यह कहना चाहिए कि वे सतर्क रहें और इस तरह भारत के नाम पर रेस्टोरेंट चला रहे लोगों की असलियत सभी को बताएं।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।