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दिल्ली चुनावों में नित नई घोषणाओं की फेहरिस्त क्या अरविन्द केजरीवाल के मन में बैठे डर की अनुगूँज हैं!

दिल्ली में विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस तीनों पुरजोर से मैदान में हैं, लेकिन वादों पर वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल इस बार परेशान हैं। पिछले दस सालों से केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में हैं लेकिन इस बार वह बौखलाहट में हैं। यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि केजरीवाल इस बार डरे हुए हैं।

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी, आम आदमी पार्टी ने पिछले दस सालों में दिल्ली की जनता से जो 40 वादे किए थे उनमें दिल्ली के लिए जनलोकपाल बिल की बात थी। यमुना सफाई की बात थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलकर अपराधियों को तीन से छह महीने में सजा दिलाने की बात की गई थी। अब आम आदमी पार्टी आए दिन दिल्ली में कानून व्यवस्था का रोना रोते नजर आती है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को फ्री वाईफाई देने का वादा भी किया था, समय के साथ वाई-फाई का वादा, फास्ट ट्रैक कोर्ट का वादा, यमुना सफाई समेत तमाम वादे हवा में फुर्र हो गए। जो केजरीवाल पूरा नहीं कर सके इसके लिए वह केंद्र सरकार को कोसते रहे।

कभी वह कानून व्यवस्था के नाम पर केंद्र पर आरोप लगाते हैं तो कभी किसी और बात पर। दिल्ली का बेटा बनकर आए केजरीवाल ने वादा किया था कि दिल्ली को व्यापार, शिक्षा और पर्यटन का केंद्र बनाएंगे। बहरहाल अब जब केजरीवाल जैसे वादे भाजपा और कांग्रेस भी कर रहे हैं तो वादा महारथी केजरीवाल परेशान हैं। वह उनके वादों को झूठ का पुलिंदा बता रहे हैं। कांग्रेस ने जहां बेरोजगार युवकों को 8500 रुपए देने की बात कही है तो केजरीवाल ने भी महिलाओं को 2100 रुपए और पुजारी और ग्रंथियों को हर माह 18 हजार रुपए देने की बात कही है। ये बात दीगर है कि केजरीवाल ने पंजाब चुनावों में वहां महिलाओं को 1000 रुपए महीना देने की बात कही थी, लेकिन अभी तक वह योजना वहां लागू नहीं हो पाई है।

केजरीवाल ने हर घर में मुफ्त और साफ पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था। हालांकि कुछ क्षेत्रों में मुफ्त पानी की सुविधा दी जा रही है, लेकिन कई क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता पर अभी भी सवाल हैं। पिछले दस सालों में केजरीवाल
दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं लेकिन इस मोर्चे पर वह फेल ही रहे हैं। जब कांग्रेस की सरकार पंजाब में थी तो वह पराली के लिए कांग्रेस को कोसते थे लेकिन अब खुद की सरकार है तो वह कहते हैं कि हमने वहां पराली पर पूरी तरह कंट्रोल कर लिया है। दिल्ली में प्रदूषण के लिए हरियाणा जिम्मेदार है, क्योंकि वहां पर भाजपा की सरकार है।

भाजपा भी इस बार वादों की फेहरिस्त के साथ मैदान में है। जहां भाजपा ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए, गरीब महिलाओं को सिलेंडर पर 500 रुपए की सब्सिडी देने, होली-दीवाली पर एक-एक मुफ्त सिलेंडर देने, मातृ सुरक्षा वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपए देने का ऐलान किया वहीं दिल्ली में बिजली, बस और पानी को लेकर मौजूदा सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं उनको जारी रखने की बात कही है। साथ ही बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन 2000 से बढ़ाकर 2500 करने और विधवा, दिव्यांगों 3000 रुपए पेंशन देने की बात कही है। अरविंद केजरीवाल जिस तरह की राजनीति करते आए हैं जब वैसी ही राजनीति दूसरे विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस कर रहे हैं तो केजरीवाल इन वादों को झूठ का पुलिंदा बता रहे हैं।

दरअसल केजरीवाल हार के डर के चलते बौखलाहट में हैं। केजरीवाल को संभवत: यह लग रहा है कि यदि दिल्ली में कांग्रेस का वोट बैंक थोड़ा भी बढ़ा तो उनके लिए खतरा है, और यदि भाजपा का वोट बैंक कुछ प्रतिशत भी बढ़ गया तो वादो के सहारे दिल्ली में आई उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो जाएगी। अब तक केजरीवाल ने सिर्फ सत्ता ही देखी है एक बार भी अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता में विपक्ष में बैठने की नौबत नहीं आई है। इसलिए केजरीवाल डरे हुए हैं। केजरीवाल वादे करें तो ठीक कोई और वादे करे वह झूठ का पुलिंदा हैं। बहरहाल चुनावों का नतीजा चाहे जो भी हो लेकिन अरविंद केजरीवाल का डर उनकी बातों और उनके प्रचार में साफ झलक रहा है। अभी तक के तमाम चुनावी समीकरण इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि इस बार दिल्ली के चुनावी रण में फतेह कर पाना अरविंद केजरीवाल के लिए आसान नहीं हैं।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।