नई दिल्ली। देश के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर जारी हुई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने देशभर में भूचाल मचा दिया है। दावा है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की बजबजाती आर्थिक स्थिति की पोल खोलकर रख दी है। अडानी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने निवेशकों से अपने ग्रुप की दुरूह आर्थिक स्थिति को छुपाकर रखा, ताकि बाजार में उनकी साख पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव ना पड़े। वहीं, अडानी समूह ने इस रिपोर्ट को सत्यता से परे बताकर सिरे से खारिज कर दिया और यह भी स्पष्ट कर दिया कि वो आगामी दिनों में हिंडनबर्ग के खिलाफ विधिक कार्रवाई के विकल्प तलाश रहे हैं। उधर, अब इस पूरे मसले को लेकर सियासी बवाल भी जारी है। इस मसले को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच वाकयुद्ध का सिलसिला जारी है। संसद में भी इस मसले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग जारी है। विपक्ष लगातार उक्त प्रकरण की संसदीय समिति से जांच कराने की मांग कर रहा है। अब इसी बीच सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पूरे मसले पर बड़ा बयान दिया है। आइए, आपको विस्तार से बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।
आपको बता दें कि सबसे पहले तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि इस पूरे मसले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने आगे अडानी ग्रुप द्वारा एफपीओ वापस लिए जाने का भी जिक्र किया। कहा कि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब देश में एफपीओ वापस लिए गए हैं, बल्कि इससे पहले भी कई मर्तबा एफपीओ वापस लिए जा चुके हैं। उन्होंने आगे सवालिया लहजे में कहा कि आप लोग बताए कि इससे पहले कितनी मर्तबा एफपीओ वापस लिए गए हैं और इससे भारत की कितनी छवि खराब हुई है। उन्होंने आगे स्पष्ट कर दिया है कि एफपीओ को आना-जाना लगा रहता है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सरकार की तरफ से इस पूरे मसले पर क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि इससे पहले एलईआसी सहित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी किया था। दोनों ही वित्तीय कंपनियों ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया था कि अडानी ग्रुप को नियमों के अनरूप ही ऋण दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं बरती गई है।
बता दें कि इन दोनों के अधिकृत बयान के बाद ही केंद्रीय वित्त मंत्री का बयान सामने आया था। यही नहीं, उससे पहले पूरे मामले पर आरबीआई ने भी बयान जारी किया था। आगे हम आपको आरीबआई के बयान के बारे में भी विस्तार से बताएंगे। लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि बीते दिनों अडानी ग्रुप ने अपनी कंपनी के एफपीओ वापस ले लिए थे, जिसके विपक्षी दल ना अडानी ग्रुप, बल्कि केंद्र सरकार पर भी हमलावर हो गई थी, जिसे देखते हुए अब केंद्रीय वित्त मंत्री के बयान को विपक्षियों के हमले के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। ध्यान रहे कि अदानी ग्रुप ने अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) के बोर्ड ने पूरी तरह से सब्सक्राइब किए गए 20,000 करोड़ के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस ले लिया था।
ध्यान रहे कि बीते शुक्रवार को पूरे मसले पर केंद्रीय बैंक आरबीआई ने भी बयान जारी किया था। आरबीआर्ई ने अपने बयान में कहा था कि अदानी ग्रुप को नियमों के अनरूप ही ऋण मुहैया कराए गए हैं, किसी भी प्रकार के नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया था। बता दें कि केंद्रीय बैंक का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब इस तरह की बातें कही जा रही है कि मुख्तलिफ बैंकों ने नियमों को दरकिनार करते हुए अदानी ग्रुप को ऋण मुहैया कराए गए हैं, जिसे लेकर सियासी गलियारों में जारी सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।