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Milk Procurement India: दूध खरीद कीमतों में 10% तक आई गिरावट, बटर और मिल्क पाउडर के दाम में कटौती से मिलेगी राहत ?
Milk Procurement India: इस उद्योग के एक्सपर्ट बताते हैं कि दूध की खरीद कीमतों में गिरावट के पीछे मौसमी गड़बड़ियां और जमाखोरी करके रखे गए स्टॉक को बाजार में जारी करने के कारण बड़े जिम्मेदार हैं। इस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स के मुताबिक गर्मी के मौसम की शुरुआत में हुई देरी के कारण आइसक्रीम दही, छाछ और इसके साथ ही और दूसरे पेय पदार्थों की डिमांड अभी तक अपने पीक पर नहीं पहुंची है। जिसके चलते बाजार में जमाखोरी खूब बढ़ी है।
नई दिल्ली। देशभर में दूध और दुग्ध उत्पादों में हो रही बढ़ोत्तरी के बीच उत्तर भारत और महाराष्ट्र से एक राहत देने वाली खबर सामने आ रही है। खबरों के मुताबिक उत्तर भारत और महाराष्ट्र में जो भी मुख्य डेयरी कंपनियां हैं, उन्होंने दूध खरीद कीमतों में बड़ी कटौती करने का फैसला किया है। जिसके चलते बीते 15 दिनों के भीतर इन इलाकों में दूध के खरीद मूल्य में 10 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस गिरावट का मतलब ये नहीं है कि ग्राहकों को सीधे तौर पर इसका फायदा मिलेगा, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ न मिलकर अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा क्योंकि इसके चलते खुदरा दूध बिक्री की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
इस गिरावट का सीधा मतलब ये होगा कि अगले कुछ महीनों तक दूध की कीमतों में ग्राहकों के लिए कोई वृद्धि नहीं देखि जाएगी, मतलब अभी जो दूध उत्पादों की कीमतें हैं अगले कुछ महीनों तक वही बनी रहेंगी। इसके साथ ही मिल्क पाउडर और मक्खन की कीमतों में भी गिरावट आई है। आज से करीब दो महीने पहले भारतीय डेयरी खंड की तरफ से दूध के इम्पोर्ट को शुरू करने की मांग की जा रही थी। खंड के मुताबिक दूध की कमी के कारण स्किम्ड मिल्क पाउडर और सफ़ेद मक्खन के दाम में बढ़ोत्तरी हुई थी, लेकिन राहत देने वाली खबर ये है कि बीते दो हफ़्तों के भीतर एसएमपी और सफ़ेद मक्खन की कीमतों में 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।\
इस बारे में जानकारी देते हुए इस उद्योग के एक्सपर्ट बताते हैं कि दूध की खरीद कीमतों में गिरावट के पीछे मौसमी गड़बड़ियां और जमाखोरी करके रखे गए स्टॉक को बाजार में जारी करने के कारण बड़े जिम्मेदार हैं। इस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स के मुताबिक गर्मी के मौसम की शुरुआत में हुई देरी के कारण आइसक्रीम दही, छाछ और इसके साथ ही और दूसरे पेय पदार्थों की डिमांड अभी तक अपने पीक पर नहीं पहुंची है। जिसके चलते बाजार में जमाखोरी खूब बढ़ी है।