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RBI New Monetary Policy: लोन पर ईएमआई में आपको कोई राहत नहीं मिलेगी, आरबीआई ने 6.5 फीसदी का रेपो रेट बरकरार रखा

यूक्रेन और रूस के बीच जंग के जारी रहने से भी महंगाई काफी तेज हुई। इसकी वजह से यूरोपीय देशों और खासकर यूक्रेन की मदद कर रहे अमेरिका पर काफी दबाव पड़ा। ऐसे में अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने लगातार ब्याज दरों में इजाफा किया। इसकी वजह से दूसरे देशों की मुद्राओं की तरह भारतीय रुपए पर भी दबाव पड़ने लगा।

मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी ताजा मौद्रिक नीति (MPC) में ब्याज दरों का एलान कर दिया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की 8 अगस्त से जारी मीटिंग खत्म होने के बाद नई मौद्रिक नीति का एलान किया। रेपो रेट को आरबीआई ने पहले की तरह 6.5 फीसदी ही रखा है। इससे आपको अपने लोन के ईएमआई पर कोई राहत फिलहाल नहीं मिलने वाली है। इसके अलावा महंगाई को थामने और विकास दर को बढ़ाए रखने के लिए और फैसले भी लिए गए।

रिजर्व बैंक ने पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में छह बार रेपो रेट को बढ़ाया था। आरबीआई की तरफ से अलग-अलग वक्त पर रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी से ये 2.5 तक उछलकर 4 से 6.5 फीसदी पर पहुंच गया। इससे पहले मौजूदा वित्तीय वर्ष की मौद्रिक नीति में दो बार आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई की एमपीसी में अप्रैल और जून में रेपो रेट को 6.5 फीसदी ही रखा गया। इससे लोन लेने वालों को ईएमआई में कोई राहत नहीं मिली थी। दरअसल इसकी वजह महंगाई है। महंगाई का लक्ष्य आरबीआई ने 5 फीसदी तय किया हुआ है, लेकिन पिछले काफी समय से महंगाई की दर तय सीमा से काफी ऊपर जा रही थी।

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यूक्रेन और रूस के बीच जंग के जारी रहने से भी महंगाई काफी तेज हुई। इसकी वजह से यूरोपीय देशों और खासकर यूक्रेन की मदद कर रहे अमेरिका पर काफी दबाव पड़ा। ऐसे में अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने लगातार ब्याज दरों में इजाफा किया। इसकी वजह से दूसरे देशों की मुद्राओं की तरह भारतीय रुपए पर भी दबाव पड़ने लगा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव काफी ऊपर यानी 80 से ज्यादा चला गया। इस वजह से भी रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई कमी न करने का फैसला किया था। रेपो रेट दरअसल वो दर होती है, जिस दर पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। रेपो रेट बढ़ने पर बैंकों के साथ ही आम लोगों के हाथ में रकम कम हो जाती है। इससे महंगाई को कंट्रोल करने में आसानी होती है।