नई दिल्ली। आने वाले दिनों में महंगाई का झटका सहन करने के लिए तैयार रहिए। इसकी वजह कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। कच्चे तेल की कीमत में हो रहे इजाफे के कारण ऐसी आशंका है कि आने वाले दिनों में सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए। पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा होने से जरूरी चीजों की ढुलाई की दरें भी बढ़ती हैं और इस वजह से महंगाई का सामना लोगों को करना पड़ता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कच्चे तेल की कीमत में आखिर कितनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मंगलवार को ही कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ था। इसके बाद कच्चे तेल की कीमत बुधवार को 2 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को ब्रेंट क्रूड की अगस्त डिलीवरी के दाम 85.53 डॉलर प्रति बैरल हो गए। सितंबर की डिलीवरी के दाम 84.74 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। यानी दोनों में ही 20 और 21 सेंट की बढ़ोतरी दिखी है। अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंडरमीडिएट क्रूड की कीमत में भी 3 सेंट का इजाफा हुआ है। इसकी कीमत बुधवार को 81.60 डॉलर प्रति बैरल थी। जून की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमत काफी कम थी, लेकिन इसमें लगातार बढ़त आती गई। नतीजे में कच्चे तेल के प्रति बैरल की कीमत में अब तक 8 डॉलर की बढ़ोतरी हो चुकी है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग और हमास के खिलाफ इजरायल की सैन्य कार्रवाई से पश्चिम एशिया में हो रहे उथलपुथल को कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी की वजह माना जा रहा है। कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ने के बाद भी भारत में अभी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल नहीं आया है। इसकी वजह ये रही कि बीते दिनों लोकसभा के चुनाव थे। अब नई सरकार ने सत्ता संभाल ली है। अगर कच्चे तेल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी होती रही, तो तेल कंपनियों के सामने पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने के अलावा रास्ता नहीं बचेगा। हालांकि, अब तक मोदी सरकार ने रूस से सस्ते में कच्चा तेल खरीदकर जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ने दिया है, लेकिन देखना यही होगा कि ताजा हालात में वो क्या फैसला लेती है?