नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास को लंदन सेंट्रल बैंकिंग समुदाय द्वारा ‘वर्ष के गवर्नर’ का सम्मान प्रदान किया गया है। गवर्नर के पद पर कार्यभार संभालने के बाद से दास ने रिजर्व बैंक के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिसमें 2000 रुपये के नोटों के प्रचलन को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण कदम शामिल है। उन्होंने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के बीच महंगाई का सामना करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कोविड-19 संकट के दौरान भी उनके निर्णयों ने लोगों की प्रशंसा प्राप्त की है, जैसे कि बैंकों और उधारदाताओं को कुछ महीनों के लिए ईएमआई पर राहत देना। लंदन में आयोजित बैंक ऑफ इंग्लैंड के समर मीटिंग्स में, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुख्य भाषण में कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण की प्रक्रिया सावधानीपूर्वक और सतत होगी, और मध्यम अवधि में 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करना है।
RBI Governor Shaktikanta Das awarded Governor of the Year by Central Banking in London
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— ANI (@ANI) June 14, 2023
उन्होंने हमारी आबादी और ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ के कारण चुनौतियों को बताते हुए कहा कि हर साल हमारी कार्यशीलता में बड़ी वृद्धि हो रही है, इसलिए हमें विकास संबंधी चिंताओं से अनजान नहीं रहना चाहिए। इसलिए, महामारी के वर्षों के दौरान भी हमने विकास को प्राथमिकता दी। हालांकि, इस अवधि में मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रही, लेकिन सहिष्णुता बैंड के भीतर ही रही। आरबीआई गवर्नर ने पुनः कहा कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई जारी है।
शक्तिकांत दास दिसंबर 2018 से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद की कमान संभाल रहे हैं। गतिविधियों का सामरिक नियंत्रण, बैंकों की सुरक्षा, निवेशकों के संरक्षण और आर्थिक स्थिरता को मजबूत बनाने के लिए शक्तिशाली उपायों पर भी दास ने ध्यान केंद्रित किया है। उनके नेतृत्व में आरबीआई ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा संकल्प (आईएमएफ) और वित्तीय स्थायित्व बोर्ड (फ़ीसीसी) जैसे महत्वपूर्ण संगठनों के साथ सजगता और सहयोग का संकेत दिया है। इसके साथ ही दास ने नए औद्योगिक और निवेशकों के लिए प्रोग्रामों की शुरुआत की है जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपनाए गए हैं।