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Narayana Murthy’s Message to Youngsters: ’70 घंटे काम करें देश के युवा’, नारायण मूर्ति का बड़ा सुझाव, चीन-जापान को पछाड़ने का बताया फॉर्मूला

नारायण मूर्ति ने एक पुराना किस्सा भी सुनाया। इस पुराने किस्से के जरिए उन्होंने बताया कि तकनीक ने हमारे जिंदगी को कितना आसान बना दिया। उन्होंने कहा कि एक बार उन्हें डायबटिज कम करने वाले आटे की जरूरत थी, तो उनके रसोइया ने फौरन अमेजन पर जाकर आटा बुक कर दिया और पलक झपकते ही उनके घर पर आटा पहुंच गया। रसोइया को पता था कि मुझे कितने मात्रा में आटे की आवश्यकता है।

नई दिल्ली। इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने यह इंटरव्यू इंफोसिस के ही पूर्व सीएफओ मोहनदास पई को दिया। जिसमें उन्होंने भारत के युवाओं को बड़ा सुझाव दिया। नारायणमूर्ति ने दो टूक कहा कि अगर हमें पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ना है, तो हमारे युवाओं को इसके लिए आगे आना होगा। हम पूरी तरह से सरकार पर ही निर्भर नहीं हो सकते हैं, बल्कि हमारे युवाओं को भी इसके लिए आगे आना होगा। उन्होंने युवाओं को देश की तरक्की की खातिर दिन में 12 घंटे काम करने की सलाह दी। बता दें, फिलहाल देश में सभी कंपनियों में 8 घंटे काम करने का कल्चर है, लेकिन अब इंफोसिस के सह-संस्थापक ने सामने आकर देश के युवाओं को दिन में 12 घंटे काम करने का सुझाव दिया है। सनद रहे, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के मकसद से जर्मनियों और जापानियों ने दिन में 12 घंटे काम करने की रवायत शुरू की थी। यह उसी रवायत का नतीजा था कि युद्ध की भीषण विभीषिका झेलने के बाद वाजजूद भी इन दोनों मुल्क ने सफलता की राह में नया कीर्तिमान स्थापित किया था।

उन्होंने आगे कहा कि भारत की उत्पादकता दर कम है। अगर हम चीन, अमेरिका जैसे देशों को पछाड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए हमारे देश युवाओं को भी आगे आना होगा। उन्हें नौकरियों को छोड़कर उद्ममी बनने की राह पर चलना होगा। हमारे देश में सफल उद्ममकर्ताओं का अभाव है। इस अभाव को दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं का शुभारंभ किया गया। उन्होंने आगे कहा कि जब हम 70 घंटे काम करेंगे, तभी हम विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे। वहीं वर्क प्रोडक्टिविटी के अलावा हमें भ्रष्टाचार को भी खत्म करना होगा। भ्रष्टाचार भी देश के विकास में बड़ा रोड़ा बन रही है। वहीं, अगर हमें प्रगतिशील देशों से मुकाबला करना है, तो हमें हमारी नौकरशाही को दुरूस्त करना होगा। नौकरशाहों को किसी भी काम को करने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा की जाने वाली देरी का सीधा असर देश के विकास पर पड़ता है।

नारायण मूर्ति ने आगे कहा कि आजादी के 75 साल बाद राष्ट्र समिति की ओर से देश को कुछ सम्मान मिले हैं। इस सम्मान को मजबूत करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में उत्पादकता के मामले में चीन हम सभी के सामने बड़ा उदारहण है। चीन ने उत्पादकता के मामले में बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। वहां के युवा हम से ज्यादा काम करते हैं। लिहाजा अगर हमारे युवा भी ज्यादा काम करें, तो हम इन देशों को पछाड़ सकते हैं।

वहीं, नारायण मूर्ति ने एक पुराना किस्सा भी सुनाया। इस पुराने किस्से के जरिए उन्होंने बताया कि तकनीक ने हमारे जिंदगी को कितना आसान बना दिया। उन्होंने कहा कि एक बार उन्हें डायबटिज कम करने वाले आटे की जरूरत थी, तो उनके रसोइया ने फौरन अमेजन पर जाकर आटा बुक कर दिया और पलक झपकते ही उनके घर पर आटा पहुंच गया। रसोइया को पता था कि मुझे कितने मात्रा में आटे की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद मैं गहरी सोच में डूब गया और यही सोचने लगा कि तकनीक ने हमारी जिंदगी को कितना आसान बना दिया है। पहले कहां हमें कोई भी सामान लेने के लिए कोसों दूर जाना पड़ता था, लेकिन आज हम तकनीक के माध्यम से कोई भी चीज आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सच में, तकनीक ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। वहीं, आज के मौजूदा परिदृश्य में हम बिना तकनीक के अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। बहरहाल, तो ये पूरा पॉडकास्ट इंटरव्यू नारायण मूर्ति ने दिया है, जो कि अभी खासा सुर्खियों में है।