वॉशिंगटन। दो बैंकों के दिवालिया होने के बीच अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों को बढ़ाया है। फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के साथ ही अमेरिका में ब्याज दरें 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। फेडरल रिजर्व की तरफ से एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भारत समेत अन्य देशों में महंगाई एक बार फिर सिर उठा सकती है। जिसकी वजह से रिजर्व बैंक को भी ब्याज दरें बढ़ाने को मजबूर होना पड़ सकता है। फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाए जाने के एक दिन पहले ही अमेरिकी श्रम विभाग की मासिक रिपोर्ट आई थी। इसमें पता चला था कि अमेरिका में नौकरी के मौके कम हो गए हैं। मार्च में खूब छंटनी भी हुई है। ऐसे में बढ़ती बेरोजगारी जो बाइडेन की सरकार का सिरदर्द साबित हो सकती है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद फेडरल रिजर्व की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि अब आगे ब्याज दरों में कोई इजाफा नहीं होगा। फेडरल रिजर्व ने बीते साल से अब तक अपनी ब्याज दरों को 10 बार बढ़ाया है। फेडरल रिजर्व का कहना है कि उसकी कमेटी भविष्य की सूचनाओं पर गौर करेगी और अपनी मौद्रिक नीति के असर का आकलन कर अगला जरूरी कदम उठाएगी। अमेरिका में दो बैंकों के दिवालिया होने के बीच फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने बैंकिंग सिस्टम मजबूत होने का भी दावा किया। उन्होंने कहा कि बैंक मजबूत और लचीले बने हुए हैं। वित्तीय सिस्टम में उथल-पुथल से खर्च और विकास की रफ्तार सुस्त हो सकती है।
फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ाने से अमेरिका में लोन भी और महंगा होगा। साथ ही वैश्विक बाजारों में निवेश करने वाले भी वहां अपनी रकम ले जाएंगे। इससे शेयर बाजारों में भी बड़ी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। अमेरिका का फेडरल रिजर्व लगातार 14 महीने से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता रहा है। अब ब्याज दर 5.25 फीसदी हो चुकी है। यूक्रेन को रूस के खिलाफ जंग में मदद के बाद से ही अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी है।