मुंबई। आज से भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति एमपीसी की बैठक हो रही है। आरबीआई की एमपीसी की बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हो रही है। आरबीआई की एमपीसी बैठक पर लोन यानी कर्ज लेने वालों की गहरी नजर है। उनको उम्मीद है कि एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट में कुछ कमी की जाएगी और इससे उनके लोन की ईएमआई में कमी होगी। हालांकि, दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत और रूस-यूक्रेन जगह और इजरायल-ईरान के बीच जबरदस्त तनाव के कारण आरबीआई के ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला आसान नहीं रहेगा।
बीते दिनों अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों में 4 साल में पहली बार 50 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की थी। इसके बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि आरबीआई भी ब्याज दरों, खासकर रेपो रेट में कटौती कर सकता है। रेपो रेट का सीधा संबंध कर्ज यानी लोन की ब्याज दरों से है। अगर रेपो रेट कम होगा, तो लोन पर ईएमआई भी घटेगी। जबकि, रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई बढ़ जाती है। आरबीआई ने रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद अर्थव्यवस्था और लगातार बढ़ रही महंगाई को देखते हुए रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। आरबीआई का रेपो रेट अभी 6.5 फीसदी है। रेपो रेट को 6.5 फीसदी बनाए रखने से महंगाई भी फिलहाल काबू में है। आरबीआई ने महंगाई का स्तर 4 से 5.5 फीसदी तक रखने का तय किया हुआ है।
रेपो रेट वो ब्याज दर होती है, जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को पैसे देता है। रेपो रेट ज्यादा होने से बैंकों के पास धन ज्यादा नहीं रहता। ऐसे में आम आदमी के पास भी पैसा कम हो जाता है। बाजार में कम मुद्रा होने के कारण असर पड़ता है और खरीदारी कम होने के कारण महंगाई भी नियंत्रित होती है। अब देखना है कि आपको लोन की ईएमआई घटने का तोहफा आरबीआई देता है या अभी रेपो रेट को बरकरार कर महंगाई को कंट्रोल में रखने का कदम उठाना जारी रखता है।