नई दिल्ली। प्यार कभी परफ़ेक्ट नहीं होता हमें उस इंपरफ़ैक्ट प्यार को एक्सेप्ट कर उसपर एफर्ट करने पड़ते हैं। क्योंकि हर रिश्ता वक़्त मांगता है। रिश्ते में चाहे एक औरत हो या फिर एक मर्द, दोनों के लिए नियम बराबर होने चाहिए। किसी के लिए थोड़ा ज़्यादा और किसी के लिए बहुत कम वाला प्यार ना सिर्फ़ प्यार को छोड़ देता है बल्कि परिवार को भी तोड़ देता है। रॉकी और रानी की प्रेम कहानी भी प्यार, परिवार और समाज में औरत ओर मर्द के बारे में लोगों के दोहरे विचार के इर्द-गिर्द घूमती है। तो चलिए बिना किसी देर के नज़र डालते हैं फ़िल्म की कहानी पर…
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क्या है फिल्म की कहानी
रॉकी रंधावा यानि की रणवीर सिंह वेस्ट दिल्ली का एक अमीर लड़का है, जिसको ज़िंदगी में इतना सबकुछ बिना मांगे मिल गया है कि उसे कभी कुछ सोचने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। रॉकी अपने आलीशान रंधावा पैराडाइस में रहता है। रॉकी के घर में उसके दादा, मां, बहन, पिता और एक कड़क दादी धनलक्ष्मी (जया बच्चन) हैं, जिन्होंने अपने दम पर करोड़ों का अंपायर खड़ा किया है। एक दिन अचानक रॉकी के दादा (धर्मेंद्र) की तबियत बिगड़ जाती है। इसके बाद डॉक्टर रॉकी को उसके दादा की सीरियस हेल्थ कंडीशन के बारे में बताती है। अपने दादा की तबियत सुधारने के लिए रॉकी मिलता है रानी से। क्योंकि रॉकी के दादा के अतीत में छिपा है रानी बनी आलिया की दादी (शबाना आज़मी) का राज। अब दादा और दादी की इस अनसुलझी कहानी को सुलझाने में रॉकी और रानी किस तरह उलझते हैं ये देखना तो दिलचस्प होगा।
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जैसे-जैसे फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है, करण जौहर के सरप्राइजेज खुलते चले जाते हैं। या मैं यूं कहूं फ़िल्म फर्स्ट हाफ में जितनी लाइट वेट रॉम-कॉम लगती है। आगे बढ़ने के साथ-साथ फ़िल्म उतनी ही संजीदा होती चली जाती है। करण जौहर ने जिस तरह इस फ़िल्म के अंदर पढ़े-लिखे व्हाइट कॉलर लोगों की सोच के पीछे छिपी जिस पितृसत्ता वाली आइडियोलॉजी पर से पर्दा उठाया है वो क़ाबिले तारीफ़ है। इस फ़िल्म का ट्रेलर अगर आपने देखा है तो मैं बता दूं रॉकी और रानी का ट्रेलर फ़िल्म के आउटक्लास कंटेंट को जस्टिफ़ाई नहीं करता। फिल्म में जिन संगीन मुद्दो पर बात की गई है, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी का ट्रेलर देख के ये किसी ने नहीं सोचा होगा कि करण जौहर की ये फिल्म इन डरों और सालों से चली आ रही अवधारणाओं पर बात करेगी। इसीलिए आगे की कहानी जानने के लिये आपको मूवी देखनी पड़ेगी।
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कैसा है काम?
रणवीर सिंह ने वेस्ट दिल्ली के एक पंजाबी लड़के के पात्र को बहुत ही बेहतरीन तरीक़े से बड़े पर्दे पर दिखाया है। कमाल की एक्टिंग और उससे भी ज़बर्दस्त रॉकी की कॉमिक टाइमिंग आपको थिएटर में हंसने पर मजबूर कर देगी, तो वहीं अगले ही सीन में रानी के साथ इंटेंस मोहब्बत आपको इमोशनल कर रोने पर मजबूर भी कर देगी। अपने पात्र के साथ इस तरह का स्विच रणवीर के एक बेहतरीन कलाकार होने का प्रमाण है। वहीं रानी चटर्जी बनी आलिया भट्ट ने फ़िल्म में ब्यूटी विद ब्रेन का डेडली कॉम्बिनेशन पेश किया है। रॉकी और रानी के लिए रणवीर और आलिया से बेहतर कोई और नहीं हो सकता था।
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वहीं फ़िल्म के बाक़ी कलाकार धर्मेंद्र, जया बच्चन और शबाना आज़मी ने फ़िल्म को अपने कंधों पर उठाया है। अपने जमाने के मशहूर इन कलाकारों को बड़े पर्दे पर अदाकारी करते देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है। इन कलाकारों ख़ास तौर से धर्मेंद्र की अदाकारी फ़िल्म में कई जगहों पर इमोशनल करती हुई नज़र आती है। फ़िल्म की कास्टिंग में वाक़ई करण जौहर ने एक बार फिर बाज़ी मार ली है। फिल्म के गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। खैर अगर करण जौहर की फिल्म है तो जाहिर सी बात है गाने तो ऑन द टॉप होंगे ही और उन्होंने ये बात एक बार फिर साबित कर दी है।
देखें या न देखें!
कुल मिलाकर रॉकी और रानी की प्रेम कहानी एक पारिवारिक फिल्म है। ये महान प्रेम कहानी तो नहीं है पर ये मिसोजिनिस्टिक भी नहीं है। ये एक ऐसी फिल्म है जो उम्मीद से ज्यादा परोसती है। रॉकी और रानी की प्रेम कहानी सूरज बड़जात्या की परफेक्ट फैमली वाली फिल्म नहीं है बल्कि करण जौहर की थोड़ी कम रियलिस्टिक मगर प्रभावशाली फैमिली फिल्म है। तो हम इस फिल्म को 5 में से 4 स्टार्स देंगे। इसी के साथ आपको एक बार तो ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।