नई दिल्ली। सुशांत केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए इस मामले में सीबीआई जांच का विरोध किया है। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट शीर्ष कोर्ट में दाखिल किया है। अपने जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने बिहार सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि इस मामले में बिहार सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर काम किया है। बिहार सरकार के पास केवल जीरो FIR दर्ज करने का अधिकार था। उन्हें एफआईआर दर्ज कर हमारे पास भेजना चाहिए था। महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि एफआईआर दर्ज कर बिहार पुलिस ने जांच शुरू कर दी जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है। जब जांच ही गैरकानूनी है तो बिहार सरकार CBI जांच की अनुशंसा कैसे कर सकती है। केंद्र ने भी सीबीआई जांच की सिफारिश मान कर गलत किया।
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में बिहार सरकार का सीबीआई जांच की सिफारिश करना उचित नहीं था। केंद्र सरकार का बिहार की अनधिकृत सिफारिश मानना केंद्र-राज्य संबंधों की संवैधानिक मर्यादा के खिलाफ है।
बता दें कि बिहार सरकार की तरफ से सुशांत सिंह मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश का महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना विरोध शुरू से कर रही है। शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति कर रहे हैं। उनकी सिफारिश संवैधानिक वैधताओं या सुशांत को न्याय दिलाने के लिए नहीं है। कानून व्यवस्था राज्य का विषय है, सीबीआई जांच का निर्णय सिर्फ महाराष्ट्र सरकार ले सकती है।
वहीं सुशांत सिंह के पिता के के सिंह ने भी रिया चक्रवर्ती की ट्रांसफर याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें के के सिंह ने कहा है कि रिया ने सुशांत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी पर दबाव बनाया था। उन्होंने हलफनामे में कहा है कि रिया की याचिका में कोई मेरिट नहीं है, लिहाजा इसे खारिज किया जाए। सुशांत के पिता ने रिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने गवाहों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में बिहार पुलिस से सुशांत का केस मुंबई ट्रांसफर कराने के लिए याचिका दर्ज की थी जिसके जवाब में केके सिंह ने हलफनामा दायर किया है।