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Satish Kaushik: जब पहली फिल्म साइन करने के बाद, सतीश कौशिक की जान जाते-जाते बची

Satish Kaushik: सतीश कौशिक के जुड़े कई किस्से निकलकर सामने आ रहे हैं। सतीश कौशिक, जिनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कोई सहारा नहीं था, जिसके कोई कनेक्शन नहीं थे, जिसे कोई जानता भी नहीं था। उस शख्स ने कैसे इंडस्ट्री में अपना नाम बनाया ऐसे तमाम किस्से हमारे सामने आ रहे हैं। जो सतीश कौशिक आज हमें छोड़कर चले गए हैं आज से कई वर्ष पहले जब उनका कोई खास नहीं था वो अपनी जान की बाजी हारते हुए बचे थे। यहां हम इसी बारे में बात करेंगे।

नई दिल्ली। आज सतीश कौशिक एक बड़े मुकाम पर पहुंच गए हैं। बड़े से बड़े एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक के काम की तारीफ कर रहे हैं। वही सतीश कौशिक अपने शुरूआती दौर में जान गंवाते-गंवाते बचे थे। बुधवार को सतीश कौशिक का हार्ट अटैक से निधन हो गया। उनके इस निधन के बाद पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। उनके निधन के बाद हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। वहीं सतीश कौशिक के जुड़े कई किस्से निकलकर सामने आ रहे हैं। सतीश कौशिक, जिनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कोई सहारा नहीं था, जिसके कोई कनेक्शन नहीं थे, जिसे कोई जानता भी नहीं था। उस शख्स ने कैसे इंडस्ट्री में अपना नाम बनाया ऐसे तमाम किस्से हमारे सामने आ रहे हैं। जो सतीश कौशिक आज हमें छोड़कर चले गए हैं आज से कई वर्ष पहले जब उनका कोई खास नहीं था वो अपनी जान की बाजी हारते हुए बचे थे। यहां हम इसी बारे में बात करेंगे।

सतीश कौशिक को फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए 40 वर्ष से भी अधिक का समय हो गया है। इस पूरे अंतराल में उन्होंने दर्शकों को हंसाया भी है तो रुलाया भी है। जहां उन्होंने फिल्म में एक्टिंग से सभी का दिल जीता है वहीं अपने डायरेक्शन का जलवा भी सतीश कौशिक ने खूब बिखेरा है। बहुत से लोग शायद ये न जानते हों लेकिन सतीश कौशिक की पहली फिल्म “चक्र” थी। जिसमें उन्होंने नसीरुद्दीन शाह जैसे एक्टर के साथ काम किया था। इस फिल्म में उनका किरदार बेहद छोटा था और उन्होंने गैंगस्टर का किरदार निभाया था।

इस किरदार के बारे में सतीश कौशिक एबीपी न्यूज़ को दिए गए इंटरव्यू में छोटा सा किस्सा साझा करते हुए बताते हैं, “चक्र मेरी फैमिली थी जब मैंने बॉम्बे में कैमरा का सामना किया था। उस फिल्म में काम करने के लिए मुझे सिर्फ 500 रूपये मिले थे। इस फिल्म में राजकुमार संतोषी और कुंदन शाह बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करते थे। राजकुमार संतोषी और सतीश कौशिक एक साथ दादर से इकट्ठे चेम्बूर जाया करते थे।”

सतीश आगे कहते हैं, “जब मैं पहली बार इस फिल्म को साइन करके आया था। तो मैं उस किरदार को पाकर बहुत खुश था और मैंने सोचा कि मैं अपने दोस्त को जाकर बताऊं कि आज मुझे फिल्म में काम मिल गया है तो मैं एक्साइटमेंट में, फास्ट ट्रेन के लिए प्लेटफार्म कूदकर दूसरी तरफ चला गया और मुझे पता नहीं था कि दोनों तरफ से ट्रेन आ रही हैं और उस दौरान मैं दो ट्रेनों के बीच में फंस गया। दो ट्रेनें तेज़ रफ़्तार से आ रही थी और पीछे से लोग चिल्ला रहे थे, “मरेला है क्या, पागल है क्या”| उस दौरान मुझे लगा कि मेरी पहली फिल्म में काम मिलने से पहले ही मेरा काम तमाम न हो गया होता। पहली फिल्म के साइन करने के बाद ही मेरी जान जाते-जाते बची। और तब से मैंने सोच लिया कि अब मैं स्लो ट्रेन से ही जाऊंगा। मुंबई में फास्ट भागने की कोई जरूरत नहीं है।”