newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में लगा महिला नागा साधुओं का जमावड़ा, जानिए कैसी होती है इनकी अनोखी दुनिया, कौन बनाता है महिला नागा साधु?

Prayagraj Mahakumbh 2025: महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन है। इसमें 10-15 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। गुरु के समक्ष यह साबित करना होता है कि वह ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं। नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते हुए अपना पिंडदान करना पड़ता है।

नई दिल्ली। प्रयागराज में महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है, जो 26 फरवरी को समापन तक 45 दिनों तक चलेगा। इस महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। हर बार की तरह, इस बार भी कुंभ में नागा साधु विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नागा साधुओं के बिना कुंभ मेले की कल्पना नहीं की जा सकती। पुरुष नागा साधुओं के साथ महिला नागा साधु भी इस परंपरा का अहम हिस्सा हैं। उनकी जीवनशैली, वेशभूषा और साधना आम लोगों से बिल्कुल अलग होती है।

महिला नागा साधुओं का जीवन

महिला नागा साधु गृहस्थ जीवन से पूरी तरह दूर होती हैं। उनका दिन पूजा-पाठ से शुरू होता है और अंत भी साधना के साथ होता है। उनका जीवन कठिनाइयों से भरा होता है और वे दुनिया से बिल्कुल अलग रहती हैं।

कौन बनाता है महिला नागा साधु?

महिला नागा साधुओं को ‘माई’ कहा जाता है। वे दशनाम संन्यासिनी अखाड़े में रहती हैं। नागा साधु बनने के लिए वैष्णव, शैव और उदासीन संप्रदाय के अखाड़े जिम्मेदार होते हैं।

नागा साधु बनने की प्रक्रिया

महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन है। इसमें 10-15 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। गुरु के समक्ष यह साबित करना होता है कि वह ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं। नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते हुए अपना पिंडदान करना पड़ता है।

वेशभूषा और जीवनशैली

महिला नागा साधु गेरुए रंग का बिना सिला हुआ कपड़ा ‘गंती’ पहनती हैं। उनके लिए माथे पर तिलक लगाना अनिवार्य होता है। उनकी दिनचर्या में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शिवजी का जाप और शाम को दत्तात्रेय भगवान की आराधना शामिल होती है।

खानपान और निवास

महिला नागा साधु कंदमूल, फल, जड़ी-बूटियां और पत्तियां खाती हैं। कुंभ मेले के दौरान उनके लिए अलग अखाड़ों में रहने की व्यवस्था की जाती है। शाही स्नान के दौरान वे पुरुष नागा साधुओं के स्नान के बाद नदी में स्नान करती हैं।