पटना। राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जेडीयू की कमान अपने हाथ में ले ली है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश ने ये फैसला किया। साथ ही ललन सिंह की आरजेडी से हो रही करीबी को देखकर भी नीतीश ने नया कदम उठाया, लेकिन अब नीतीश का यही कदम लालू यादव की आरजेडी को शायद पसंद नहीं आ रहा है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आरजेडी के एक नेता के हवाले से जो खबर दी है, उसका लब्बोलुआब यही है कि आने वाले दिन जेडीयू और लालू की पार्टी के बीच तनाव भरे हो सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से आरजेडी के नेता ने कहा है कि तेजस्वी यादव का 6 जनवरी से होने वाला ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द करने का कारण राजनीतिक अनिश्चितता है। इस नेता ने अखबार से कहा है कि जनवरी का महीना जेडीयू और आरजेडी के लिए अहम हो सकता है। आरजेडी के नेता ने 4 मौकों पर डिप्टी सीएम और लालू के बेटे तेजस्वी यादव के सीएम नीतीश कुमार के साथ मंच साझा न करने का मामला भी उठाया और कहा कि इससे साफ होता है कि जेडीयू और आरजेडी के बीच तनावपूर्ण माहौल है। अखबार ने आरजेडी के इस नेता के हवाले से कहा है कि नीतीश कुमार अक्सर बिहार में आरजेडी राज के दौरान कुशासन वगैरा की बात कहकर तेजस्वी यादव को शर्मिंदा करते रहे हैं। इसी से लग रहा है कि भीतर ही भीतर नीतीश कुमार के खिलाफ आरजेडी में नाराजगी पनप रही है।
उधर, बीजेपी लगातार कह रही है कि अब नीतीश कुमार की जेडीयू नहीं बचेगी। ललन सिंह को जेडीयू अध्यक्ष पद से हटाए जाने की भविष्यवाणी बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने पहले ही की थी। जब ऐसा हो गया, तो अब सुशील मोदी कह रहे हैं कि जल्दी ही जेडीयू में टूट हो जाएगी और पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। अगर ऐसा होता है, तो विपक्षी एकता के लिए दिन-रात एक कर रहे नीतीश कुमार को सियासत में सबसे तगड़ा झटका लगेगा। हालांकि, नीतीश कुमार मंझे हुए नेता माने जाते हैं और पहले भी उन्होंने पार्टी पर आए संकटों को दूर करने में अहम रोल अदा किया है।