
नई दिल्ली।भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण काफी समय से लगातार सुर्खियों में हैं। राजनेता पर पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न और धमकाने के आरोप लगे हैं। दिल्ली में सभी पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दे रखा है। पहलवानों की मांग है कि बृजभूषण सिंह पर कार्रवाई की जाए और पद से इस्तीफा भी लिया जाए। मामला सभी को पता है लेकिन हम आज बृजभूषण सिंह के राजनीति करियर से लेकर अखाड़े तक के सफर की बात करने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं कि बृजभूषण सिंह के सियासी सफर की शुरुआत कहां से हुई।
बचपन से था पहलवानी का शौक
बृजभूषण सिंह को बचपन से ही पहलवानी का शौक था। उन्होंने अखाड़े में ट्रेनिंग भी ली और स्थानीय स्तर पर कुश्ती में ही नाम रोशन किया। हालांकि राजनीतिक करियर की शुरुआत अयोध्या के साकेत कॉलेज से हुई, जहां अयोध्या राम आंदोलन के दौरान बृजभूषण सिंह ने आंदोलन में भरपूर भागीदारी निभाई। इस आंदोलन की भागीदारी की वजह से ही बृजभूषण एक युवा नेता बनकर उभरे और उनकी पॉपुलैरिटी में जबरदस्त इजाफा हुआ।
पहली बार उन्होंने 1991 बीजेपी की टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता भी। अगले साल ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस ने तूल पकड़ा और बृजभूषण सिंह ने इस आंदोलन के जरिए भी अपनी साख को मजबूत किया। उन्होंने लोगों के सामने खुद कबूल किया कि बाबरी मस्जिद गिराने में उनकी अहम भूमिका रही है। जिसके बाद केस भी दर्ज हुआ और कुछ समय जेल में भी बिताने पड़े।
टाडा के तहत भी हुई कार्रवाई
बृजभूषण सिंह पर टाडा के तहत भी कार्रवाई की गई। उनका नाम डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ जुड़ा और कहा गया कि उनके गुर्गों की मदद करने में नेता का हाथ था। जिसके लिए जेल भी हुई और 1999 में जेल से रिहा भी हो गए। पहले बीजेपी से लड़ने वाले बृजभूषण सिंह ने 2009 में सपा की टिकट से चुनाव लड़ा लेकिन 2014 के चुनावों को देखते हुए उन्होंने दोबारा बीजेपी का दामन थाम लिया। इसी बीच नेता पर हत्या के आरोप भी लगा, जिसका कबूलनामा खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में किया।