newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ramleela In Mendhar: 45 वर्षों बाद जम्मू-कश्मीर के मेंढर में रामलीला का किया गया मंचन, अनुच्छेद 370 हटने के बाद काफी बदले हालात

Ramleela In Mendhar: सन् 2019 में जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब से राज्य में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार देखे गए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है, और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। इसके अलावा, निवेशकों का ध्यान भी इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हुआ है, जिससे स्थानीय विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के छोटे से कस्बे मेंढर में इस वर्ष 45 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद रामलीला का भव्य मंचन हुआ। यह सांस्कृतिक आयोजन क्षेत्र में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामुदायिक एकता का प्रतीक माना जा रहा है। रामलीला का यह आयोजन हिंदू-मुस्लिम एकता और समुदाय की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है, जिससे क्षेत्र में शांति और सौहार्द का संदेश प्रसारित हो रहा है।

रामलीला का ऐतिहासिक महत्व

मेंढर में रामलीला की परंपरा आज़ादी के पहले से चली आ रही थी। 1970 के दशक तक यहाँ हर वर्ष रामलीला का आयोजन धूमधाम से किया जाता था। लेकिन बाद में, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव के कारण इस परंपरा पर विराम लग गया। लंबे समय तक सांस्कृतिक गतिविधियाँ ठप पड़ी रहीं और रामलीला का मंचन बंद हो गया। जम्मू और कश्मीर में दशकों तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा। सांप्रदायिक सौहार्द में कमी, अलगाववादी ताकतों का प्रभाव, और अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर विशेष दर्जे में था, जिसने राज्य को राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग बनाए रखा। इसके चलते सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियाँ भी प्रभावित हुईं।


अनुच्छेद 370 हटने के बाद स्थिति में सुधार

सन् 2019 में जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब से राज्य में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार देखे गए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है, और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। इसके अलावा, निवेशकों का ध्यान भी इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हुआ है, जिससे स्थानीय विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।

 

सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का संदेश

रामलीला के इस आयोजन में न केवल हिंदू समाज के लोग बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी सक्रिय रूप से शामिल हुए। मुस्लिम युवाओं ने रामलीला के आयोजन में सहयोग प्रदान किया और कुछ ने इसमें भूमिका भी निभाई। इस आयोजन ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर में अब सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का नया अध्याय लिखा जा रहा है।