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CA’s Death Due To Work Pressure Issue Gained Momentum : काम के दबाव में सीए की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार में आफिस से कोई नहीं हुआ शामिल, मां ने लिखा भावुक पत्र

CA’s Death Due To Work Pressure Issue Gained Momentum : सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले को उठाते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, देश की सरकार से लेकर कॉरपोरेट जगत तक को पीड़ित मां के इस पत्र को एक चेतावनी और सलाह के रूप में लेना चाहिए। यदि काम की दशाएँ और परिस्थितियाँ ही अनुकूल नहीं होंगी तो परफॉरमेंस और रिज़ल्ट्स कैसे अनुकूल होंगे।

नई दिल्ली। पुणे में 26 साल की सीए की मौत के बाद अब उसकी मां ने कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) कंपनी को एक लेटर लिखा है। ईवाई वही कंपनी है जहां उनकी बेटी काम करती थी। एना सेबेस्टियन पेरायिल की मां का आरोप है कि काम के ज्यादा दबाव की वजह से मेरी बेटी की मौत हुई है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि बेटी के अंतिम संस्कार में उसके ऑफिस से कोई भी शामिल नहीं हुआ। एना की मां अनीता ऑगस्टीन ने ईवाई इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को लिखे पत्र में लिखा कि कंपनी से जुड़ने के तुरंत बाद ही उसे अनिद्रा, तनाव की समस्या हो गई थी। रात-रात भर उससे काम लिया जाता था यहां तक कि वीकेंड पर भी काम करने को मजबूर किया जाता था। इस घटना को उठाते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी सोशल मीडिया पर एक लंबा चौड़ा लेख लिखा है।

अखिलेश का कहना है कि ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ का संतुलित अनुपात किसी भी देश के विकास का एक मानक होता है। पुणे में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करनेवाली युवती की काम के तनाव से हुई मृत्यु और उस संदर्भ में उसकी माँ का लिखा हुआ भावुक पत्र देश भर के युवक-युवतियों को झकझोर गया है। ये किसी एक कंपनी या सरकार के किसी एक विभाग की बात नहीं बल्कि कहीं थोड़े ज़्यादा, कहीं थोड़े कम, हर जगह लगभग एक-से ही प्रतिकूल हालात हैं। देश की सरकार से लेकर कॉरपोरेट जगत तक को इस पत्र को एक चेतावनी और सलाह के रूप में लेना चाहिए।

सपा प्रमुख ने लिखा कि अगर काम की दशाएँ और परिस्थितियाँ ही अनुकूल नहीं होंगी तो परफॉरमेंस और रिज़ल्ट्स कैसे अनुकूल होंगे। इस संदर्भ में नियम-क़ानून से अधिक आर्थिक हालातों को सुधारने की ज़रूरत है। ऊपर-से-लेकर नीचे तक हर इम्प्लायी एक-दूसरे के दबाव में है। बड़े संदर्भों में देखा जाए तो दरअसल इस दबाव-तनाव का मूल कारण आर्थिक नीतियों की नाकामी है। जब देश की मेंटल हेल्थ अच्छी होगी तभी तरक़्क़ी होगी। सरकार को इस संदर्भ में सबसे पहले अपनी सोच बदलनी होगी और काम करने के तरीक़ों को भी, जहाँ ज़्यादा-से-ज़्यादा घंटे काम करने का दिखावटी पैमाना नहीं बल्कि अंत में परिणाम क्या निकला, ये आधार होना चाहिए।