
श्रीनगर। पहलगाम में पर्यटकों का धर्म जानकर हत्या करने के बाद लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फोर्स यानी टीआरएफ और टारगेट किलिंग की साजिश रच रहा है। इस बारे में खुफिया जानकारी आने के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की चौकसी बढ़ाई गई है। खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिला है कि टीआरएफ के आतंकी जवानों, प्रवासी मजदूरों और घाटी में बचे-खुचे कश्मीरी पंडितों पर हमला कर सकते हैं। टीआरएफ ने पहले पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में इससे मुकर गया। हाल ही में टीआरएफ ने धमकी दी थी कि अगर कश्मीर में आतंकियों के घर गिराए गए, तो हमले जारी रहेंगे।
टीआरएफ साल 2019 से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय है। इस संगठन को लश्कर-ए-तैयबा ने इस वजह से बनाया है, ताकि कश्मीर में किसी भी आतंकी हमले में उसका नाम न आए। टीआरएफ में स्थानीय आतंकियों की संख्या कम और पाकिस्तानी आतंकियों की तादाद ज्यादा है। पहलगाम हमले में भी पाकिस्तानी आतंकी मूसा का नाम सामने आया है। मूसा पाकिस्तान के स्पेशल फोर्सेज में रहा है। पहलगाम हमले की जांच के दौरान पता चला कि मूसा और उसके साथी दिसंबर 2024 में ही कश्मीर घाटी में बड़ा आतंकी हमला करने की साजिश रच चुके थे, लेकिन सुरक्षाबलों के ऑपरेशन और चौकसी की वजह से वे नाकाम रहे।
अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात लगातार बेहतर हो रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों में बौखलाहट है। आतंकी संगठन कश्मीर में हालात को फिर से बिगाड़ना चाहते हैं। पहलगाम का हमला पर्यटकों को डराने की कोशिश है। ताकि कश्मीर घाटी में कम लोग आएं और वहां के लोगों का रोजगार प्रभावित हो। रोजगार जब कम रहता था, तभी कश्मीर घाटी में आतंकवाद ने अपना सिर उठाया था। इसके बाद सेना, केंद्रीय बलों के जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकवादियों के खिलाफ जोरदार सफाई अभियान छेड़ा था। जिसकी वजह से आतंकी गतिविधियां घटी थीं। कश्मीर में काफी वक्त से जैश-ए-मोहम्मद या हिजबुल मुजाहिदीन की तरफ से आतंकी घटनाएं नहीं हुई हैं। सिर्फ टीआरएफ के ही हमले होते रहे हैं।