
नई दिल्ली। NIA कोर्ट के द्वारा कश्मीर के अलगाववादी ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के पाकिस्तान के कई लोग तिलमिला गए थे। आम लोग ही नहीं बल्कि वहां के खास लोग भी सोशल मीडिया के जरिए यासीन मलिक के लिए घड़ियाले आंसू बहाने से कोई गुरेज नहीं कर रहे थे। चलो पाकिस्तान का तो समझ में आता हैं, लेकिन तब आप क्या कहेंगे जब एक हिदुंस्तानी ही यासीन मलिक जैसे लोगों की उम्रकैद की सजा को गलत बता रहा हो। यासीन मलिक को UAPA की धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत दोषी पाया गया था। जिसके बाद उसे उम्रकैद की सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना लगाया गया था।
इसके साथ ही अब डॉ. भीमराव आंबेडकर के पोते और पेशे से अधिवक्ता प्रकाश आंबेडकर ने इस मामले पर एक ऐसा बयान दे दिया है, जिससे अब बवाल भी हो सकता है। दरअसल, प्रकाश आंबेडकर ने यासीन मलिक को NIA कोर्ट के द्वारा फांसी दिए जाने वाले फैसले को गलत बताया है। उन्होंने UPA की धाराओं पर यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि NIA कोर्ट ने यासीन मलिक को UPA की उन धाराओं के तहत दोषी ठहराया है जिन्हें हमारा कोर्ट अस्तित्वहीन मानता है। जानकारी के लिए बता दें कि प्रकाश आंबेडकर, डॉ. भीमराव आंबेडकर के पोते हैं। इसके साथ ही वह बहुजन अघाड़ी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं।
यासीन मलीक को फांसी की सजा दिए जाने पर सवाल उठाते हुए प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि धारा 124(1) और 124(A) जैसे देशद्रोह कानून एक औपनिवेशिक कानून है। जिसे पहले ही इंग्लैंड के लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स ने समाप्त कर दिया है। ऐसे में इस प्रकार के कानूनों को कोर्ट द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ये कानून मौजूद नहीं हैं।