newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

ISRO To Send Mangalyaan 2: चांद फतह करने के बाद अब इसरो भेजेगा मंगलयान-2, लैंडर और रोवर उतारकर 4 यंत्रों से लाल ग्रह की वैज्ञानिक करेंगे पड़ताल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वैज्ञानिकों ने अगस्त में चांद पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सफलता से उतारकर करिश्मा कर दिखाया था। अब ऐसा ही करिश्मा एक बार फिर इसरो करने जा रहा है। इस बार उसका लक्ष्य धरती का सबसे करीब मंगल ग्रह है।

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वैज्ञानिकों ने अगस्त में चांद पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सफलता से उतारकर करिश्मा कर दिखाया था। अब ऐसा ही करिश्मा एक बार फिर इसरो करने जा रहा है। इस बार उसका लक्ष्य मंगल ग्रह है। इसरो ने 9 साल पहले मार्स ऑर्बिटर नाम से पहला यान मंगल ग्रह के लिए भेजा था। ये यान सफलता से मंगल ग्रह तक पहुंचा और ऑर्बिटर के जरिए इसरो के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की तमाम तस्वीरें और अन्य जानकारियां हासिल की। अब मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसरो इस बार मंगल ग्रह पर यान उतारने की तैयारी कर रहा है।

mars 3
9 साल पहले इसरो ने मंगल ग्रह का चक्कर लगाने के लिए मार्स ऑर्बिटर भेजा था।

मीडिया की खबरों के मुताबिक इसरो के वैज्ञानिक जिस मंगलयान-2 को तैयार कर रहे हैं, उसमें एक अत्याधुनिक लैंडर और रोवर होगा। मंगलयान-2 के लैंडर और रोवर में 4 यंत्र लगे होंगे। इनसे मंगल ग्रह के वातावरण, वहां की मिट्टी और अन्य ग्रहों से मंगल ग्रह पर पहुंचने वाली धूल के अलावा कुछ और टेस्ट इसरो के वैज्ञानिक करेंगे। इसरो ने 5 नवंबर 2013 को मंगलयान को इस लाल ग्रह के लिए रवाना किया था और मंगल तक पहली ही कोशिश में यान पहुंचाने में सफल देशों की श्रेणी में आ गया था। अब चंद्रयान-3 को सफलता से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इसरो के वैज्ञानिक उत्साह से लबरेज हैं।

mars 2

मंगल ग्रह धरती के सबसे करीब है। फिर भी यहां तक पहुंचने में 6 महीने का वक्त किसी यान को लग जाता है। मंगल ग्रह के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले पानी था। मंगल पर पानी बहने के तमाम निशान आज भी मौजूद हैं। अमेरिका जैसे देश मंगल ग्रह पर इंसान की बस्ती बसाने के ख्वाब भी देख रहे हैं। ऐसे में इसरो वैज्ञानिकों का मंगलयान-2 मिशन अगर लाल ग्रह के बारे में कोई बड़ी खोज करता है, तो उससे दुनिया के सभी अंतरिक्ष संगठनों को बड़ा लाभ मिल सकता है।