
नई दिल्ली। अपनी मांगों पर मोदी सरकार से समझौता न होने पर आंदोलनकारी किसान आज दिल्ली कूच पर अड़ गए हैं। किसान संगठनों से जुड़े आंदोलनकारियों ने हरियाणा और पंजाब के बीच शंभु बॉर्डर पर लगाए गए सभी बैरिकेड तोड़ने के लिए पोकलैंड मशीन, जेसीबी भी इकट्ठा किए हैं। इनके अलावा 1200 ट्रैक्टर-ट्रॉली भी यहां हैं। साथ ही तमाम गाड़ियां भी शंभु बॉर्डर पर किसानों ने इकट्ठा की हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के बाद किसानों से कहा था कि अगर वे दिल्ली जाना चाहते हैं, तो बसों में बैठकर जाएं। कोर्ट ने साफ कहा था कि हाइवे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर जाना नियमों के खिलाफ है। किसान संगठनों के नेता अब क्या कह रहे हैं, सुनिए।
#WATCH | Farmer leader Sarwan Singh Pandher says, “…We have told the govt that you can kill us but please don’t oppress the farmers. We request the Prime Minister to come forward and put an end to this protest by announcing a law on the MSP guarantee for the farmers…The… pic.twitter.com/pwBEiPH9RX
— ANI (@ANI) February 21, 2024
हिंदी न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक शंभु बॉर्डर पर पंजाब की तरफ से 14000 आंदोलनकारी किसान आकर शंभु बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए। इस पर गृह मंत्रालय ने चिंता जताई है और पंजाब सरकार से कहा है कि वो उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई करे। गृह मंत्रालय को जानकारी मिली है कि ढाबी-गुजरान बैरियर पर भी 4500 लोगों को सभा की मंजूरी पंजाब सरकार ने दी है। इन लोगों के साथ करीब 500 ट्रैक्टर-ट्रॉली है। न्यूज चैनल की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को लिखा है कि ऐसा लगता है विरोध की आड़ में कानून तोड़ने वालों को पथराव करने, भीड़ जुटाने की खुली छूट दी गई है। गृह मंत्रालय की चिट्ठी मिलने के बाद अब पंजाब सरकार ने पोकलेन और जेसीबी को हरियाणा सीमा तक ले जाने पर रोक लगाई है।
आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की कई मांग हैं। पहली मांग तो यही है कि मोदी सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून पास करे। इसके अलावा किसान संगठनों की मांग नए बिजली कानून को रद्द करना, डब्ल्यूटीओ से हटना, विदेशी खाद्य पदार्थों पर ज्यादा टैक्स लगाना, 58 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को हर महीने 10000 रुपए पेंशन देना और मनरेगा के काम के दिन बढ़ाकर हर रोज 700 रुपए देने का भी है। केंद्र सरकार से 4 दौर की बातचीत में भी किसान संगठनों के नेता आए हर प्रस्ताव को नकार चुके हैं।