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Akhilesh Yadav And CBI: सीबीआई के सामने आज पेश नहीं होंगे समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, अवैध खनन मामले में जांच एजेंसी को करनी थी पूछताछ

Akhilesh Yadav And CBI: अखिलेश यादव यूपी में साल 2012 से 2017 तक सीएम थे। साल 2012 से 2013 तक यूपी में खनन विभाग भी उनके ही पास था। इसके बाद समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रजापति को खनन मंत्री बनाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए थे।

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव आज सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे। सीबीआई ने 21 फरवरी को अखिलेश यादव को समन भेजा था। सीबीआई यूपी में खनन घोटाले की जांच कर रही है। इसी जांच की कड़ी में सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 160 के तहत अखिलेश यादव को समन भेजकर 29 फरवरी को दिल्ली में पेश होने के लिए कहा था। सीबीआई बतौर गवाह अखिलेश यादव से पूछताछ करना चाहती है, लेकिन सूत्रों के हवाले से आजतक न्यूज चैनल ने खबर दी है कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने जांच एजेंसी के सामने पेश न होने का फैसला किया है।

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अखिलेश यादव यूपी में साल 2012 से 2017 तक सीएम थे। साल 2012 से 2013 तक यूपी में खनन विभाग भी उनके ही पास था। इसके बाद समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रजापति को खनन मंत्री बनाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के हमीरपुर में अवैध रेत खनन से जुड़ी जनहित याचिका पर सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए थे। सीबीआई इस जांच को कोर्ट की निगरानी में कर रही है। सीबीआई ने हमीरपुर में अवैध रेत खनन मामले में अज्ञात नौकरशाहों समेत 11 आरोपियों पर केस दर्ज किया था। सीबीआई ने कोर्ट के आदेश पर अवैध रेत खनन मामला हाथ में लिया और जनवरी 2019 में दिल्ली, लखनऊ, हमीरपुर, नोएडा, कानपुर और जालौन में छापे भी मारे थे। सीबीआई को इन छापों में अवैध खनन से जुड़े दस्तावेज, नकदी और सोना वगैरा भी मिला था।

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सीबीआई के मुताबिक सीएम रहते अखिलेश यादव ने 2012 से 2013 के बीच खनन के 14 टेंडर को मंजूरी दी थी। वहीं, उनकी सरकार के दौरान दिए गए 22 खनन टेंडर की भी सीबीआई जांच कर रही है। यूपी में अवैध खनन के मसले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से की जा रही है। सीबीआई का आरोप है कि नौकरशाहों और खनन पट्टा लेने वालों ने आपराधिक साजिश रची और 2012 से 2016 के बीच हमीरपुर में लघु खनिजों के अवैध खनन की मंजूरी दी गई। पहले के खनन पट्टों का भी नवीनीकरण किया गया। इससे यूपी के सरकारी खजाने को चपत लगाई गई। साथ ही खनिजों को परिवहन करने वाले वाहन चालकों से भी धन उगाही का आरोप जांच एजेंसी ने लगाया है। अब सबकी नजर इस पर है कि अखिलेश यादव के पेश न होने पर सीबीआई की तरफ से अगला कदम क्या उठाया जाता है।