
नई दिल्ली। मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में 40 से ज्यादा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। ये खबर रविवार को सूत्रों के हवाले से आई थी। इसका विरोध अब मुस्लिम संगठनों के अलावा इस समुदाय के धर्मगुरु और नेता कर रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा है कि बोर्ड ऐसे किसी भी कदम को विफल करने के लिए हर तरह से कानूनी और लोकतांत्रिक कदम उठाएगा। इलियास ने कहा कि वक्फ बोर्डों की ताकत में किसी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने विपक्ष के साथ ही एनडीए के सहयोगी दलों से भी वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन को संसद में पारित न होने देने का आग्रह किया। साथ ही सभी मुस्लिमों और उनके धार्मिक संगठनों से एकजुट होने की अपील करते हुए मोदी सरकार के ऐसे किसी कदम को दुर्भावना वाला काम बताया।
एसक्यूआर इलियास ने कहा कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्टर में 40 संशोधन के जरिए वक्फ की संपत्तियों की प्रकृति बदलना चाहती है। ताकि उनपर कब्जा करना आसान हो। इससे पहले रविवार को मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली और सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत तमाम मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने भी वक्फ एक्ट में बदलाव की किसी भी कोशिश का विरोध किया था। वहीं, सरकारी सूत्रों का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास 800000 एकड़ जमीन है, लेकिन इनसे 200 करोड़ का राजस्व ही आता है। देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक आम और गरीब मुस्लिम, महिलाएं, तलाक ले चुकीं मुस्लिम महिलाओं के बच्चे, शिया और बोहरा समुदाय लंबे समय से वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव की मांग कर रहे हैं। सच्चर कमेटी ने भी कहा था कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए और वक्फ की संपत्ति का सिर्फ मुस्लिम ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
सूत्रों का ये भी कहना है कि वक्फ बोर्डों में सिर्फ ताकतवर लोग हैं। इनमें महिलाओं को भी ठीक से जगह नहीं मिल रही है। वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति को अपना बता देता है, उसे उसका मालिक वापस नहीं ले पाता। सरकारें और कोर्ट भी इसमें कुछ नहीं कर पाती हैं। ऐसा कानून इस्लामी देशों में भी नहीं है। वक्फ संबंधी पहला एक्ट पहले 1954 में पास किया गया था। इसमें 1995 और फिर 2013 में दूसरी बार संशोधन किया गया। 2013 के संशोधन के बाद ही वक्फ बोर्डों को ये अधिकार मिल गया कि जिस जमीन को अपना बता देंगे, उसे वो हासिल कर लेंगे। ऐसे में तमाम जमीनों के मसले पर वक्फ बोर्डों और लोगों का विवाद भी चल रहा है। तमिलनाडु में 2023 में तो वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव की जमीन को ही अपना बता दिया था। बाद में कोर्ट ने इस पर रोक लगाई।