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Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर आज आएगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, मुस्लिम और हिंदू पक्ष की दलीलें जानिए

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला देगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद बीती 27 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चीफ जस्टिस ने एएसआई से भी सर्वे के बारे में जानकारी ली थी।

प्रयागराज। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला देगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद बीती 27 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दोनों पक्षों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2 दिन तक अपनी दलीलें दी थीं। पहले आपको बताते हैं कि हिंदू पक्ष ने क्या दलीलें दी। हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा था कि ये 350 साल से भी पुराना मामला है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए एएसआई कहीं खोदाई नहीं करने वाला है। उन्होंने कहा था कि कोर्ट को न्याय के हित में कमिश्नर के जरिए जांच कराने का हक है। हिंदू पक्ष ने ये भी कहा था कि कमिश्नर सर्वे में गुंबद के नीचे प्राचीन मंदिर के शंकु के आकार के शिखर के अलावा दीवारों पर ओम् और स्वास्तिक के चिन्ह मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर संस्कृत के श्लोक, मूर्तियों के हिस्से वगैरा भी मिले हैं। हिंदू पक्ष ने यहां माता शृंगार गौरी की पूजा की मंजूरी के लिए वाराणसी के जिला जज के यहां अर्जी दी थी। जिसपर एएसआई सर्वे का आदेश हुआ था।

justice pritinkar diwaker
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे पर फैसला सुनाएंगे।

वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा गया कि एएसआई की तरफ से सर्वे के दौरान कुदाल और फावड़े का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ज्ञानवापी मस्जिद के ढांचे को खतरा होगा। मुस्लिम पक्ष का ये भी कहना है कि दोनों पक्षों की तरफ से सबूत दिए जाने के बाद ही एएसआई का सर्वे होना चाहिए था। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी है कि यहां किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि मुगल बादशाह औरंगजेब का फरमान है और मासिरी-ए-आलमगीरी नाम की किताब में भी बताया गया है कि साल 1669 में वाराणसी के प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। हिंदू पक्ष ने इसके लिए पश्चिम की दीवार का भी उल्लेख किया है। उसका दावा है कि इस दीवार को देखकर साफ पता चलता है कि वहां मंदिर था, क्योंकि दीवार पर घंटे और फूल वगैरा बने हुए हैं।

gyanvapi mosque
ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस दीवार पर प्राचीन मंदिर के सबूत दिखते हैं।

वहीं, इस मामले में एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया था कि एएसआई कहीं भी खोदाई नहीं करने वाला। उन्होंने बताया था कि आईआईटी कानपुर के सहयोग से ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे होगा। इसके लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार और अन्य यंत्र इस्तेमाल किए जाएंगे। जरूरत होने पर दीवारों पर सिर्फ ब्रश चलाया जाएगा। अब सबकी नजर ये है कि आज चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे को हरी झंडी देते हैं या उस पर रोक लगाते हैं।