
लखनऊ। नियम और कायदे न मानने वाले वकीलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चाबुक चलाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे वकीलों के खिलाफ खुद संज्ञान के तहत पीआईएल की सुनवाई का फैसला किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले अपने चैंबर में विवाह केंद्र चलाने वाले दो वकीलों को बाहर करने का आदेश 8 जुलाई को दिया था।
जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृजराज सिंह की बेंच ने 8 जुलाई को सुनवाई के दौरान लखनऊ के जिला और सत्र न्यायालय परिसर के एक चैंबर का इस्तेमाल करने वाले वकीलों की ओर से नैतिक उल्लंघन के मामले में गंभीर रुख अपनाया था। बेंच ने चैंबर से विवाह केंद्र चलाने वाले वकीलों को निकालने का आदेश दिया था। साथ ही लखनऊ जिला और सत्र न्यायालय के उन वकीलों के बारे में खुद संज्ञान लेते हुए एक पीआईएल रजिस्टर कर दूसरी बेंच को सुनवाई के लिए कहा था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अताउर्रहमान मसूदी और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने 12 जुलाई को की। बेंच ने यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष और सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने इन पदाधिकारियों से जानना चाहा है कि नैतिक उल्लंघन करने वाले वकीलों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की गई है? हाईकोर्ट ने अपने वकील को ये आदेश भी दिया कि वो देखें कि चैंबर संख्या 31 खाली हुआ है या नहीं और दीवारों पर लिखे आपत्तिजनक बातों को मिटाया गया है या नहीं। अब इस मामले में 22 जुलाई को सुनवाई होनी है। वकील के चैंबर में विवाह केंद्र चलाने का मामला उस वक्त सामने आया था, जब 8 जुलाई को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था। इस खुलासे से बेंच के न्यायाधीश चौंक गए थे। उसके बाद ही नियम और कायदे न मानकर मनमर्जी करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत कोर्ट ने की। कोर्ट ने दोनों वकीलों से जबरन चैंबर खाली कराने का आदेश जारी किया था।