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Allahabad High Court On Polygamy: ‘मुस्लिम पुरुष स्वार्थ के कारण बहुविवाह का दुरुपयोग करते हैं’, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये कहते हुए यूसीसी का भी लिया पक्ष

Allahabad High Court On Polygamy: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने फुरकान और दो अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये भी कहा कि इस्लाम में पुरुष को दूसरी शादी करने का उस वक्त तक हक नहीं है, जब तक कि वो सभी पत्नियों से समान व्यवहार करने की क्षमता न रखता हो। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके साथ ही समान नागरिक संहिता के भी पक्ष में टिप्पणी की है। जानिए पूरा मामला क्या है।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कुरान ने उचित कारण से बहुविवाह की मंजूरी दी है, लेकिन मुस्लिम पुरुष स्वार्थ के कारण इसका दुरुपयोग करते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने फुरकान और दो अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये भी कहा कि इस्लाम में पुरुष को दूसरी शादी करने का उस वक्त तक हक नहीं है, जब तक कि वो सभी पत्नियों से समान व्यवहार करने की क्षमता न रखता हो। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी की भी वकालत की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि कुरान की तरफ से बहुविवाह की मंजूरी देने के पीछे ऐतिहासिक कारण है। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम कुछ हालात में और शर्तों के तहत एक से ज्यादा शादी की इजाजत देता है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने फैसले में कहा कि विपक्षी संख्या 2 ने जो दलील दी है, उसमें उसने माना है कि आवेदक नंबर एक फुरकान ने उससे दूसरी शादी की। दोनों ही मुस्लिम हैं और इस वजह से दूसरी शादी वैध है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपक्षी संख्या 2 से जवाब मांगा है। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगले आदेश तक मामले में आवेदकों पर कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे फुरकान, खुशनुमा और अख्तर अली ने मुरादाबाद के एसीजेएम कोर्ट में अपने खिलाफ दाखिल चार्जशीट, समन और संज्ञान को रद्द करने की अर्जी दी है। सभी पर मुरादाबाद के मैनाठेर थाने में रेप, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ था। मुरादाबाद के कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। जिस पर कोर्ट ने तीनों को समन भेजा था। एफआईआर में विपक्षी संख्या 2 ने आरोप लगाया था कि फुरकान ने बिना ये बताए कि पहले से शादीशुदा है, उससे भी विवाह किया और उसके साथ रेप किया। वहीं, फुरकान के वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में तर्क दिया कि महिला ने खुद माना है कि उसके साथ संबंध बनाने के बाद फुरकान ने शादी की। ऐसे में मुस्लिम कानून और शरीयत एक्ट के तहत अपराध नहीं बनता। क्योंकि मुस्लिम शख्स को 4 बार शादी करने की मंजूरी मिली हुई है। वहीं, यूपी सरकार ने इस दलील का ये कहकर विरोधकिया कि मुस्लिम व्यक्ति की दूसरी शादी हमेशा वैध नहीं मानी जा सकती। अगर पहली शादी मुस्लिम कानून के तहत न करके विशेष विवाह एक्ट और हिंदू कानून के तहत की गई, तो दूसरी शादी अमान्य होगी। फिर आईपीसी की धारा 494 के तहत इसे अपराध माना जाएगा।