प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट आज एक अहम मसले पर फैसला सुनाने वाला है। ये फैसला मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे की है। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के केस में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से मथुरा की शाही मस्जिद के एएसआई सर्वे की मांग वाली याचिका दी थी। विष्णु शंकर जैन ने अपने दावे में कहा है कि एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर उसकी जगह मथुरा की शाही मस्जिद तामीर की गई थी। इस शाही मस्जिद के ठीक बगल में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मंदिर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जहां शाही मस्जिद बनाई गई, वहीं पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मंदिर था। ये मंदिर प्राचीन था और भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने पहली बार मंदिर बनवाया था। हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब के वक्त श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को ध्वस्त किया गया। उसकी मूर्तियों को एक मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया और फिर ध्वस्त मंदिर के ऊपर ही मस्जिद बना दी गई।
हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जल्द सर्वे कराने की अपील की थी। कोर्ट में हिंदू पक्ष ने आशंका जताई कि मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद के भीतर हिंदू मंदिर से जुड़े चिन्हों को मिटाने का काम हो रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के मसले पर तमाम और केस भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे हैं। मस्जिद के एएसआई सर्वे की याचिका के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले में कोई दखल देने से साफ इनकार कर दिया था। मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी की तरह मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में भी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया था।
मुस्लिम पक्ष की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आपत्ति जताई है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का तर्क ये रहा है कि अदालत से इस स्तर पर आवेदन पर आदेश की जरूरत नहीं है। वक्फ बोर्ड के वकीलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा था कि मुकदमे की पोषणीयता पर उनकी आपत्ति पर अभी फैसला नहीं आया है। इस मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुन लिया था। मथुरा की शाही मस्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर होने का दावा हिंदू पक्ष लंबे अर्से से करता रहा है।