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Cyber Crime: 24 साल की लड़की का कमाल, सॉल्व किए 7 हजार साइबर-क्राइम केस, पैशन के लिए ठुकराए गूगल-फेसबुक के ऑफर

Cyber Crime: वह युवाओं को इंटरनेट क्राइम और फ्रॉड रोकने के प्रति जागरूक कर रही हैं। कामाक्षी को गृह मंत्रालय की तरफ से भी काम करने का ऑफर मिल चुका है। उन्हें नेशनल पुलिस ग्रुप नाम का एक मिशन मिला, जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक उन्होंने 30 से ज्यादा शहरों में तैनात IPS अफसरों और पुलिसकर्मियों को साइबर सिक्योरिटी पर ट्रेनिंग दी।

नई दिल्ली। इतनी कम उम्र में कामाक्षी ने ऐसे कठिन मामलों को सुलझा दिया, जो पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे। इसी स्मार्टनेस के लिए उन्हें लंदन बुक ऑफ अवॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड जैसे बड़े सम्मान मिल चुके हैं। पुरस्कार सबूत हैं कामाक्षी की मेहनत, उनकी लगन और उनकी हार न मानने वाली आदत के, जिसकी वजह से आज सैकड़ों परिवार बर्बाद होने से बच गए हैं। कामाक्षी ने जिन लोगों को हैकर्स के चक्रव्यूह से बचाया, वे आज भी उन्हें किसी देवी से कम नहीं मानते। अपने पैशन के लिए गूगल- फेसबुक के ऑफर ठुकरा दिए कामाक्षी ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक पूरा करके साल 2019 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। लेकिन उसके बाद कहीं नौकरी करने नहीं गईं। उनका सपना था साइबर क्राइम के खिलाफ वह पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों की मदद करें। उन्होंने इसको ही अपना मकसद बना लिया।

Cyber Crime

 

कामाक्षी कहती हैं, “कॉलेज के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी के ऑफर मिले। मुझे गूगल- फेसबुक की तरफ से एथिकल हैकर के तौर पर बेहतर सैलरी पैकेज पर बुलाया गया। लेकिन मैंने सभी ऑफर ठुकरा दिए। मैं नहीं चाहती थी कि मैं किसी विदेशी प्राइवेट कंपनी में रहकर नॉर्मल सी ऑफिस लाइफ बिताऊं। मेरा ड्रीम था कि मैं साइबर सिक्योरिटी की फील्ड में देश की सेना और पुलिस की मदद करूं…उनके साथ काम करूं। इसलिए मैंने हमेशा अपने पैशन को फॉलो किया।”

50 हजार पुलिसवालों को दी साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग कामाक्षी के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है। उन्होंने मात्र 35 दिनों में 50 हजार पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी है। वह पुलिस लेकर सेना के जवानों को कोडिंग, फेक ID हैकिंग, इंटरनेट फ्रॉड एक्सपोजिंग जैसी तकनीक सिखा रही हैं। हाल ही में उन्होंने भारत में सीमापार से होने वाले साइबर हमलों पर सुरक्षा एजेंसियों के साथ एक वर्कशॉप भी की है। पुलिस विभाग समय-समय पर कई पेचीदा केस सुलझाने के लिए कामाक्षी की मदद लेता रहता है।

24 साल की कामाक्षी ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि श्रीलंका और दुबई पुलिस के साथ भी काम किया है। उन्होंने विदेश जाकर पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध रोकने की ट्रेनिंग दी है। फिलहाल, वह युवाओं को इंटरनेट क्राइम और फ्रॉड रोकने के प्रति जागरूक कर रही हैं। कामाक्षी को गृह मंत्रालय की तरफ से भी काम करने का ऑफर मिल चुका है। उन्हें नेशनल पुलिस ग्रुप नाम का एक मिशन मिला, जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक उन्होंने 30 से ज्यादा शहरों में तैनात IPS अफसरों और पुलिसकर्मियों को साइबर सिक्योरिटी पर ट्रेनिंग दी।

गाजियाबाद की पंचवटी कॉलोनी में रहने वाली कामाक्षी साइबर क्राइम को रोकने के लिए एशिया में सबसे लंबा ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाकर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं। उन्होंने अब तक 7000 से ज्यादा साइबर अपराध से जुड़े मामलों को सॉल्व किया है। कामाक्षी कहती हैं, “पूरी दुनिया अमेरिका, कोरिया, जापान और चाइना जैसे कई देशों को साइबर एक्सपर्ट के तौर पर जानती है, लेकिन भारत भी साइबर सिक्योरिटी की फील्ड में बड़ा एक्सपर्ट बन सकता है। हमारे देश में बहुत तेजी से लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे ऑनलाइन अपराध भी बढ़े हैं। ऐसे में आने वाली जनरेशन को टेक्नोलॉजी के प्रति स्मार्ट बनाना जरूरी है। इससे हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को साइबर ठगी से बचा सकेंगे।