नई दिल्ली। सोमवार को पुरी में होने वाली प्राचीन रथयात्रा को आयोजित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शर्त के साथ इजाजत दी है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के प्रकोप को देखते हुए इस रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। इस रथयात्रा को इजाजत मिलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों को बधाई दी है और कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरा देश प्रसन्न है।
रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई
बता दें कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद यात्रा पर लगी रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई थी। वहीं इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, ‘सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था की बात है। अगर भगवान जगन्नाथ 23 जून को नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि महामारी ना फैले, सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है।’
सरकार यात्रा पर रोक भी लगा सकती है
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया है कि कुछ शर्तों के साथ केंद्र और राज्य सरकार इस रथयात्रा के लिए कोविड-19 के गाइडलाइंस के तहत इंतजाम करेंगी। कोर्ट ने कहा कि वो स्थिति को ओडिशा सरकार के ऊपर छोड़ रहा है। अगर यात्रा के चलते स्थिति हाथ से बाहर जाते हुए दिखती है, तो सरकार यात्रा पर रोक भी लगा सकती है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों वाली बेंच ने की। सीजेआई बोबडे ने कहा कि इस मामले में कोर्ट लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं कर सकता।
अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा
कोर्ट के इस फैसले पर अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, “रथ यात्रा सुनिश्चित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से पूरा देश खुश। यह मेरे साथ भारत के करोड़ों भक्तों के लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल भक्तों की भावना को समझा, बल्कि उन परामर्शों को भी लागू किया, जिससे हमारी भूमि की महान परंपराओं का पालन किया जाए।”
1736 से अनवरत चल रही रथ यात्रा
इससे पहले शाह ने अनिश्चितता के बीच सोमवार को जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव से बात की थी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने बताया कि शाह ने वर्ष 1736 से अनवरत चल रही रथ यात्रा के साथ जुड़ी परंपरा पर चर्चा की की।