
वाराणसी। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने सर्वे किया था। अब तक इस सर्वे की रिपोर्ट एएसआई ने वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट में नहीं सौंपी है। एएसआई ने ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट सौंपने के लिए इससे पहले 2 बार कोर्ट से तारीख बढ़वाई थी। अब एक बार फिर ज्ञानवापी पर रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और 3 हफ्ते देने की गुजारिश जिला जज से की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामलों की सुनवाई वाराणसी के जिला जज ही कर रहे हैं। आज जिला जज फैसला लेंगे कि एएसआई की और समय देने की मांग मंजूर की जाए या नहीं। हालांकि, जिस तरह एएसआई की तरफ से लगातार ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट देने के लिए तारीख पर तारीख मांगी जा रही है, उससे साफ है कि एएसआई पुख्ता सबूतों के साथ कोर्ट में अपनी राय जाहिर कर सकता है।
एएसआई को मंगलवार यानी बीते कल तक ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी थी, लेकिन उसके वकील ने और 3 हफ्ते देने की अर्जी अदालत में लगा दी। एएसआई की तरफ से जिला जज की अदालत में कहा गया है कि उसके विशेषज्ञ पुरातत्वविद, पुरालेखाविद, सर्वेक्षण करने वाले और भूभौतिकी विशेषज्ञ हर सबूत को देख रहे हैं और उनके बारे में अपनी राय रिपोर्ट में समाहित कराने का काम कर रहे हैं। अब तक रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है और इस वजह से और वक्त दे दिया जाए। एएसआई की अपील सुनने के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने इस पर फैसला सुनाने के लिए आज यानी 29 नवंबर की तारीख तय कर दी। जिस तरह एएसआई ने कोर्ट में बताया है कि उसके विशेषज्ञ रिपोर्ट में हर पहलू के बारे में लिख रहे हैं, उसी से साफ हो रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले हर सबूत के बारे में छोटी से छोटी चीज का ध्यान एएसआई रख रहा है और अपनी रिपोर्ट वो ऐसी तय करेगा, ताकि कोई पक्ष अगर चुनौती देना चाहे, तो उसे सारे तथ्य दिख जाएं।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में इस साल 24 जुलाई से एएसआई के सर्वे का काम शुरू हुआ था। 21 जुलाई को जिला जज ने एएसआई से ज्ञानवापी का सर्वे कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट देने के लिए कहा था। इस सर्वे के खिलाफ मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट गई थी, लेकिन दोनों ही जगह से सर्वे पर रोक लगाने से मना हो गया था। 3 अगस्त तक सर्वे का काम रुकने के बाद फिर शुरू हुआ था और फिर सर्वे पूरा करने के लिए एएसआई ने और 4 हफ्ते का वक्त मांगा था। उसे रिपोर्ट सौंपने के लिए 5 अगस्त को और 4 हफ्ते और फिर 8 सितंबर को दूसरी बार जिला जज ने 4 हफ्ते का और वक्त दिया था।