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Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी पर बड़ा फैसला, इस मामले में बाहुबली को सुनाई गई 10 साल की सजा, ठोका 5 लाख का जु्र्माना भी

इसके बाद मुख्तार ने अपराध की दुनिया में बादशाहत कायम करने के बाद राजनीति का रूख किया। उसने 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 2017 तक अपने विरोधियों को लगातार परस्त करते हुए राजनीति में झंडे गाड़ते रहे।

नई दिल्ली। बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी पर आज गाजीपुर की एमएपी/एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने माफिया को 10 साल की सजा सुनाई है और 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने यह फैसला गैंगस्टर एक्ट के तहत सुनाया है। 16 साल पुराने मामले में यह फैसला सुनाया गया है, जिसमें बाहुबली को सजा सुनाया गई है। वहीं, कुछ देर बाद मुख्तार के सांसद भाई आफजाल अंसारी पर भी फैसला आ सकता है। ध्यान रहे कि अगर आफजाल को दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उनकी संसद सदस्यता भी जा सकती है। विदित हो कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता चली जाती है। फिलहाल आफजाल अभी जमानत पर है। ऐसे में आज उसको राहत मिलती है या नहीं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

जानें पूरा माजरा

वहीं, मुख्तार अंसारी की बात करें, तो गाजीपुर में वर्ष 2005 में मुहम्मदाबाद थाना के बसनिया चट्टी में भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों को हत्या कर दी गई थी। इसी मामले में माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई आफजाल अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। फिलहाल, इस मामले में आफजाल अंसारी जमानत पर है। खैर, देर ही सही, लेकिन मुख्तार के गुनाहों का हिसाब हो ही गया। आइए, आगे कि रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर मुख्तार  अंसारी कौन है?

 कौन है मुख्तार अंसारी? 

अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी एक ऐसा नाम है, जिसे सुनते ही हर किसी की रूह कांप जाती है। मुख्तार के दहशत का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि सलाखों के पीछे रहने के बावजूद भी मुख्तार का खौफ लोगों के बीच कायम है।  मुख्तार पिछले 18 सालों  से सलाखों के पीछे है। उसके खिलाफ गैंगस्टर सहित कई अन्य मामले दर्ज है। गाजीपुर, वाराणसी और मऊ सहित अन्य इलाकों में उसके खिलाफ हत्या सहित अन्य कई गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज है। 60 वर्षीय मुख्तार के खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमे गाजीपुर में ही दर्ज है।

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मुख्तार अंसारी का भाई अफजाल अंसारी।

वहीं, मुख्तार ने अपराध की दुनिया में बादशाहत कायम करने के बाद राजनीति का रूख किया। उसने 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 2017 तक अपने विरोधियों को लगातार परास्त करते हुए राजनीति में झंडे गाड़े। मुख्तार ने सपा और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और इसके बाद उसने कौमी एकता नामक अपना राजनीतिक दल भी गठित किया, लेकिन 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उसने दूरी बना ली और अपने बेटे अब्बास अंसारी को राजनीतिक मैदान में उतारा। मुख्तार के बेटे ने भी चुनाव में जीत का पताका फहराया। हालांकि, योगी सरकार ने मुख्तार के खिलाफ 2017 से ही शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। योगी सरकार ने उसके कई संपत्तियों को जब्त करवाया है। मुख्तार की गैर मौजूदगी में उसकी पत्नी ही उसके अवैध कार्यों का संचालन करती है, जो कि अभी फरार है। पुलिस ने बीते दिनों उसकी पत्नी पर इनाम की राशि भी बढ़ाई थी और विदेश भागने की आशंका के मद्देनजर  लुक आउट नोटिस भी जारी किया था।