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Who Will Be Rajasthan CM: बीजेपी आज कर सकती है राजस्थान में सीएम के नाम का एलान, वसुंधरा राजे के लिए आसान नहीं सत्ता का रास्ता!

राजस्थान में अभी सीएम पद के लिए रेस की बात करें, तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन मेघवाल, दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नाम चर्चा में हैं। पहले डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और बाबा बालकनाथ का नाम भी चल रहा था।

जयपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी विष्णुदेव साय और मध्यप्रदेश में ओबीसी समुदाय के मोहन यादव को बीजेपी ने सीएम बना दिया है। आज बारी राजस्थान की है। राजस्थान में अब बीजेपी किसे सीएम बनाती है, इसे लेकर चर्चा हो रही है। हालांकि, यहां तमाम नाम सीएम की रेस में हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जिस तरह बीजेपी ने सीएम के चेहरे बदले हैं, उससे साफ लग रहा है कि राजस्थान में भी सबसे पुराने चेहरे यानी वसुंधरा राजे को शायद सीएम पद की जिम्मेदारी नहीं मिलेगी। आज शाम तक राजस्थान का सीएम भी तय होना है। इसके लिए विधायक दल की बैठक होने वाली है। विधायक दल की बैठक में सीएम किसे चुना जाता है, इस पर नजर रखने के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने रविवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सांसद सरोज पांडेय और विनोद तावड़े को जयपुर भेज दिया था।

राजस्थान में अभी सीएम पद के लिए रेस की बात करें, तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन मेघवाल, दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नाम चर्चा में हैं। पहले इनके साथ वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और बाबा बालकनाथ का नाम भी चल रहा था, लेकिन इन दोनों ही नेताओं ने खुद के सीएम पद की रेस में न होने की बात कही है। ऐसे में अगर वसुंधरा राजे को राजस्थान की सत्ता नहीं सौंपी जाती है, तो देखने वाली बात ये होगी कि बीजेपी इस बार किसे राज्य की सत्ता सौंपती है। खासकर तब, जबकि छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह जैसे लोकप्रिय नेता को भी बीजेपी नेतृत्व ने सीएम के पद से दूर ही रखा है।

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वसुंधरा राजे पिछले दिनों दिल्ली में थीं। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी बैठक नहीं हुई थी। वसुंधरा के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के बारे में ये खबर आई थी कि कुछ विधायकों को उन्होंने एक रिसॉर्ट में रोक लिया था। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी हारी थी, तो उससे पहले राज्य में नारा गूंजा था ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा की खैर नहीं!’…ऐसे में फिलहाल संकेत तो यही हैं कि वसुंधरा राजे को सत्ता मिलना शायद संभव न हो। हालांकि, राजनीति अनिश्चितता भरी होती है। पल-पल राजनीति में मौसम बदलता भी है। देखते हैं राजस्थान में किसे अगले 5 साल तक बीजेपी अपना सबसे बड़ा चेहरा बनाकर सामने लाती है।