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Karnataka Muslim Reservation: कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का बड़ा दांव, मुस्लिमों का 4 फीसदी आरक्षण खत्म कर दो समुदायों को दिया

सीएम बोम्मई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अल्पसंख्यकों को पहले जो 4 फीसदी आरक्षण अलग से मिल रहा था, उसे 2सी और 2डी में बांटा जा रहा है। वोक्कालिगा के लिए अब आरक्षण 4 से बढ़ाकर 6 फीसदी किया जा रहा है। वहीं, लिंगायत और वीरशैव वगैरा को जो 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा था, वो अब 7 फीसदी होगा।

बेंगलुरु। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले बीजेपी की सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है। साल 1995 में जब एचडी देवगौड़ा कर्नाटक के सीएम थे, तो उन्होंने इस आरक्षण को लागू किया था। मुस्लिमों को अब तक ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता था। अब उनको ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण कोटे के तहत लाया गया है। मुस्लिमों को जो 4 फीसदी आरक्षण मिल रहा था, उसे अब 2-2 फीसदी में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय में बांटा जाएगा। कर्नाटक सरकार के इस फैसले से सियासी तूफान उठने के आसार हैं। वहीं, सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा है कि संविधान के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है। बोम्मई ने कहा कि खुद आंबेडकर कहते थे कि आरक्षण जाति के लिए है, धर्म के लिए नहीं। इसे कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी का बड़ा दांव माना जा रहा है।

सीएम बोम्मई ने कहा कि मुस्लिमों को मिल रहा ये 4 फीसदी आरक्षण अब लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों में बांटा जाएगा। लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के लिए कर्नाटक सरकार ने पिछले साल 2सी और 2डी की नई आरक्षण श्रेणी बनाई थी। अब मंत्रिमंडल के फैसले से अल्पसंख्यक आरक्षण खत्म कर इसे इन दोनों श्रेणियों में बांटने का फैसला किया गया। सीएम बोम्मई ने बताया कि धार्मिक अल्सपंख्यकों को अब ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत 10 फीसदी आरक्षण में हिस्सा मिलेगा। इसमें कोई भी शर्त नहीं जोड़ी गई है।

basavraj Bommai

सीएम बोम्मई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अल्पसंख्यकों को पहले जो 4 फीसदी आरक्षण अलग से मिल रहा था, उसे 2सी और 2डी में बांटा जा रहा है। वोक्कालिगा के लिए अब आरक्षण 4 से बढ़ाकर 6 फीसदी किया जा रहा है। वहीं, लिंगायत और वीरशैव वगैरा को जो 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा था, वो अब 7 फीसदी होगा। इस फैसले का कर्नाटक में बीजेपी को बड़ा फायदा हो सकता है। इसकी वजह ये है कि विधानसभा की 56 सीटों पर लिंगायत समुदाय के वोटर ही जीत-हार तय करते हैं। इस समुदाय को बीजेपी का करीबी माना जाता है। वहीं, वोक्कालिगा समुदाय के वोटर भी 17 फीसदी हैं। ऐसे में आरक्षण का ये बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इस मसले पर हंगामा जरूर कर सकता है।