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Pushkar Singh Dhami’s Reaction On Indus Water Treaty Issue : खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, सिंधु जल संधि पर रोक लगाए जाने पर बोले उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी

Pushkar Singh Dhami’s Reaction On Indus Water Treaty Issue : मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर पाकिस्तान को करार जवाब दिया है। इस निर्णायक फैसले से आतंकवाद को पनाह और बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के मंसूबे भी चकनाचूर होंगे। उन्होंने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व में उठाए गए ये साहसिक कदम न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर मुहर लगाते हैं, बल्कि इससे दुश्मनों को भी यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत हर आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान पर लिए गए एक्शन पर प्रतिक्रिया दी है। सीएम ने कहा कि मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर पाकिस्तान को करार जवाब देते हुए यह साफ कर दिया है कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। धामी बोले, इस निर्णायक फैसले से आतंकवाद को पनाह और बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के मंसूबे भी चकनाचूर होंगे। इसी तरह अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद करने सहित अन्य फैसलों से भी पाकिस्तान को कड़ा संदेश गया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल एवं निर्णायक नेतृत्व में हुई बुधवार को हुई सीसीएस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ लिए गए ऐतिहासिक और कठोर निर्णय पर अब कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है।

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में उठाए गए ये साहसिक कदम न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर मुहर लगाते हैं, बल्कि इससे दुश्मनों को भी यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत हर एक आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने इससे पहले बुधवार अपने देहरादून स्थित सरकारी आवास में आयोजित एक बैठक से पहले पहलगाम में आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। सीएम धामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को अशांत करने की आतंकवादियों की कोशिशें कभी सफल नहीं होंगी। इस कुकृत्य का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

क्या है सिंधु नदी जल संधि?

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1960 में हुए सिंधु नदी जल संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत सिंधु और उसकी सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था। सिंधु, चेनाब और झेलम को पश्चिमी नदियां मानते हुए इनका पानी पाकिस्तान के इस्तेमाल के लिए छोड़ा गया। भारत इन नदियों का सिर्फ 20 प्रतिशत पानी इस्तेमाल कर सकता है। वहीं रावी, सतलुज और ब्यास नदी को पूर्वी हिस्से का मानते हुए इसके पानी के इस्तेमाल का अधिकार भारत को मिला। सिंधु नदी को पाकिस्तान की लाइफलाइन कहा जाता है और अब भारत ने इस संधि पर रोक लगा दी है।