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Union Budget 2023: ये हैं वो खास शब्द जिनको जान लेने से आपके लिए निर्मला सीतारमण का बजट भाषण समझना हो जाएगा आसान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश करेंगी। इस बजट में वो अर्थशास्त्र के कई शब्दों का इस्तेमाल करेंगी। तो बजट को आप पूरी तरह समझ सकें और ये जान सकें कि वित्त मंत्री किस बारे में बता रही हैं। इसके लिए आपको हम इन शब्दों का अर्थ बता रहे हैं।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश करेंगी। इस बजट में वो अर्थशास्त्र के कई शब्दों का इस्तेमाल करेंगी। तो बजट को आप पूरी तरह समझ सकें और ये जान सकें कि वित्त मंत्री किस बारे में बता रही हैं। इसके लिए आपको हम इन शब्दों का अर्थ बता रहे हैं। इनको समझ लेने से आपको निर्मला सीतारमण का बजट भी अच्छी तरह और आसानी से समझ आ जाएगा।

फाइनेंस बिल: बजट को पेश करने के बाद जो बिल संसद से पास कराया जाता है, उसे फाइनेंस बिल कहते हैं।

एप्रोप्रिएशन बिल: फाइनेंस बिल के साथ वित्त मंत्री सरकारी खर्च की जानकारी भी सदन को देती हैं। इसे एप्रोप्रिएशन बिल कहते हैं।

फिस्कल पॉलिसी: सरकार 2023-24 में कैसे खर्च करेगी। कौन से टैक्स लगाएगी वगैरा की जानकारी फिस्कल पॉलिसी कहलाती है। इसमें बेरोजगारी, मौद्रिक नीति और महंगाई जैसी अहम बातें शामिल होती हैं।

फिस्कल डेफिसिट: सरकार की आय और खर्च के अंतर को फिस्कल डेफिसिट कहते हैं। आय और खर्च बराबर होना चाहिए, लेकिन ऐसा अमूमन नहीं होता है। इसे ही डेफिसिट कहा जाता है।

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रेवेन्यू डेफिसिट: सरकार को राजस्व चाहिए होता है। इसके लिए बजट में लक्ष्य तय किया जाता है। इससे कम आय होने पर उसे रेवेन्यू डेफिसिट कहते हैं।

करेंट अकाउंट डेफिसिट: सामान और सेवा का आयात जब निर्यात के मुकाबले बढ़ जाता है, तो उसे करेंट अकाउंट डेफिसिट कहा जाता है। इससे मुद्रा की ताकत घटती है। इसे जीडीपी से मिलाकर नापा जाता है।

ट्रेड डेफिसिट: ट्रेड डेफिसिट का अर्थ है कि आयात के मुकाबले देश का निर्यात कम है।

डिसइन्वेस्टमेंट: राजस्व के लक्ष्य में कमी से निपटने के लिए सरकार अपनी संपत्ति बेचती है। उसे ही डिसइन्वेस्टमेंट कहते हैं। जैसे मोदी सरकार ने एयर इंडिया को बेचकर धन जुटाया। इसके अलावा नीलाचल इस्पात को भी पिछले साल बेचा गया था।

डायरेक्ट टैक्स: इनकम या कंपनियों पर जो टैक्स सरकार सीधे लगाती है, उसे ही डायरेक्ट टैक्स कहते हैं।

इनडायरेक्ट टैक्स: आप सामान वगैरा खरीदने में जो जीएसटी अदा करते हैं, वो इनडायरेक्ट टैक्स होता है। हर देशवासी इसे चुकाता है। जबकि, इनकम टैक्स चुकाने वालों की संख्या 6 करोड़ से भी कम है।

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