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Qatar Indian Navy Officers: कतर के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने दायर की अपील, सुनाई थी पूर्व भारतीय नौ-सैनिकों को मौत की सजा

Qatar Indian Navy Officers: ऐसी स्थिति में भारत ने भी अपनी भू्मिका स्पष्ट कर दी थी कि वो इजराइल के पक्ष में है और हमेशा खड़ा रहेगा, लेकिन आपको बता दें कि बीते दिनों उसकी भूमिका पर उस वक्त सवाल खड़े हो गए थे, जब भारत की ओर से युद्धग्रस्त फिसिस्तीन को भारी मात्रा में राहत सामग्री भेजी गई थी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बीते 26 अक्टूबर को कतर में नौ पूर्व भारतीय नौ-सैनिकों को मौत की सजा सुनाए जाने के विरोध में अपील दायर की है। जिसकी जानकारी केंद्रीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेसवार्ता में दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि “जैसा कि हमने पहले बताया था, कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने 26 अक्टूबर को 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था, फैसला गोपनीय है और इसे केवल कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। वे अब आगे के कानूनी कदम उठा रहे हैं। एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है। हम इस मामले में कतरी अधिकारियों के साथ भी जुड़े रहेंगे। 7 नवंबर को, दोहा में हमारे दूतावास को बंदियों तक एक और कांसुलर पहुंच प्राप्त हुई। हम उनके परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में हैं… हम मैं सभी कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखूंगा और मैं सभी से आग्रह करूंगा कि मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलों में शामिल न हों…”


इसके साथ ही प्रेसवार्ता में बागची ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। जिसमें उन्होंने युद्धग्रस्त मुल्क इजराइल में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी से लेकर ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों पर हो रहे हमलों जैसे विषय शामिल रहे। बता दें कि बीते दिनों 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने 8 पूर्व नौ-सैनिकों के खिलाफ जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। कतर ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि इन पूर्व भारतीय नौ-सैनिकों ने इजराइल के समर्थन में जासूसी की थी, जिसे देखते हुए इन्हें मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन भारत ने कतर के इस फैसले का प्रतिकार किया था।

 

वहीं, अब केंद्र ने इसके विरोध में अपील भी दायर की है। अब ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में इस पूरे मामले में क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि बीते 7 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर अप्रत्याशित हमला किया था। आतंकी संगठन ने इजराइल के समुद्र, जल और वायु मार्ग से 4 हजार से भी अधिक रॉकेट दागे थे, जिसकी जद में आकर पूरा इजराइल तबाह गया था, जिसके बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि आगामी दिनों में दुश्मन देश को भारी कीमत चुकानी होगी, जिसके तहत अब तक इजराइली सैनिक एक या दो दफा नहीं, बल्कि कई दफे फिलिस्तीनी कब्जे वाले गाजा पर हमला कर चुके हैं, जिसकी मुस्लिम देशों ने निंदा की और नेतन्याहू ने हमला रोकने की अपील भी की, लेकिन नेतन्याहू ने स्पष्ट कर दिया है कि दुश्मन मुल्क को आगामी दिनों में कीमत चुकानी होगी तो मतलब चुकानी होगी।

बहरहाल, इस युद्ध को लेकर वैश्विक समुदाय में बने माहौल की बात करें, तो भारत सहित अमेरिका और पूरा यूरोपीय खेमा जहां इजराइल के पक्ष में झंडा लेकर खड़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ पूरा मुस्लिम समुदाय फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा है। ऐसी स्थिति में भारत ने भी अपनी भू्मिका स्पष्ट कर दी थी कि वो इजराइल के पक्ष में है और हमेशा खड़ा रहेगा, लेकिन आपको बता दें कि बीते दिनों उसकी भूमिका पर उस वक्त सवाल खड़े हो गए थे, जब भारत की ओर से युद्धग्रस्त फिलिस्तीन को  भारी मात्रा में राहत सामग्री भेजी थी।