
नई दिल्ली। लेटरल एंट्री के जरिए ज्वाइंट सेक्रेटरी, डेप्युटी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पदों पर भर्ती मामले में मचे विवाद के बीच अब नया मोड़ आ गया है। केंद्र सरकार ने यूपीएसी से भर्ती संबंधी विज्ञापन वापस लेने का अनुरोध किया है। पीएम नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद डीओपीटी मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में मंत्री जितेंद्र सिंह ने लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने की माँग की है। आपको बता दें कि यूपीएससी द्वारा ज्वाइंट सेक्रेटरी, डेप्युटी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती किए जाने का हाल ही में विज्ञापन जारी किया गया था।
The DoPT Minister writes to the Chairman of UPSC to cancel the Lateral Entry advertisement as per the directions of the Prime Minister pic.twitter.com/6kkOZ46FN3
— IANS (@ians_india) August 20, 2024
इस विज्ञापन के जारी होने के बाद से ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा लेटरल एंट्री के जरिए ज्वाइंट सेक्रेटरी, डेप्युटी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पदों पर भर्ती का विरोध किया जा रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस मामले को लेकर एक दूसर पर हमलावर थे। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि इस तरह से आईएएस के पदों पर सीधी भर्ती के द्वारा सरकार एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को छीनना चाहती है।
वहीं केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मामले पर पलटवार करते हुए कहा कि लेटरल एंट्री की अवधारणा को विकसित करने वाला यूपीए सरकार ही थी। दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) मनोहन सिंह सरकार के नेतृत्व में साल 2005 में बनाया गया था। गौरतलब है कि लेटरल एंट्री के जरिए विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डेप्युटी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पदों पर बिना आईएएस की परीक्षा दिए भर्ती की जाती है। लेटरल एंट्री में सिर्फ इंटरव्यू के जरिए प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को सरकार उन पदों पर नियुक्त करती है जहां आईएएस की नियुक्ति होती है।