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Hardeep Singh Puri: अशोक स्तंभ पर राजनीति करने वाले विपक्ष को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह का करारा जवाब, बताई विशालकाय राष्ट्रीय चिन्ह की सच्चाई

जिसे लेकर खूब राजनीति भी हुई। इसी कड़ी में अशोक स्तंभ को लेकर छिड़े सियासी बवाल के बीच केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का बयान सामने आया है। उन्होंने इस संदर्भ में एक या दो नहीं, बल्कि कई ट्वीट कर विपक्षी दलों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। आइए , आपको आगे विस्तार से बताते हैं कि उन्होंने अपने ट्वीट में क्या कुछ कहा है।

नई दिल्ली। बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर 6.5 मीटर के निर्मित किए गए राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया था। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री समेत लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने अशोक स्तंभ के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई थी, जो कि सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई थी, लेकिन देखते ही देखते नए संसद भवन के छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ का विरोध शुरू होने लगा। विपक्षी खेमे के कई नेताओं ने सामने आकर नए संसद भवन के छत पर निर्मित अशोक स्तंभ का विरोध कर पीएम मोदी को भी निशाने पर ले रहे हैं। जिसे लेकर खूब राजनीति भी देखने को मिल रही है। अब इसी कड़ी में अशोक स्तंभ को लेकर छिड़े सियासी बवाल के बीच केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए गए, जिसमें उन्होंने खुलकर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ की सच्चाई बताई है। आइए , आपको आगे विस्तार से बताते हैं कि उन्होंने अपने ट्वीट में क्या कुछ कहा है।

 

बता दें कि केंद्रीय हरदीप सिंह पुरी ने अपने पहले ट्वीट में कहा है कि,’ अनुपात और परिप्रेक्ष्य की भावना। सुंदरता को देखने वाले की आंखों में झूठ के रूप में प्रसिद्ध माना जाता है। शांत और क्रोध के साथ भी ऐसा ही है। मूल #सारनाथ #प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि #NewParliamentBuilding के शीर्ष पर स्थित प्रतीक 6.5 मीटर ऊंचाई पर विशाल है।’


इसके साथ ही उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि,’ यदि मूल की एक सटीक प्रतिकृति नई इमारत पर रखी जानी थी, तो यह परिधीय रेल से परे मुश्किल से दिखाई देगी। ‘विशेषज्ञों’ को यह भी पता होना चाहिए कि सारनाथ में रखी गई मूल प्रतिमा जमीनी स्तर पर है जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है।’

उधर, केंद्रीय मंत्री ने अपने तीसरे ट्वीट में कहा है कि,’ दो संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और पैमाने के प्रभाव की सराहना करने की आवश्यकता है। यदि कोई नीचे से सारनाथ के प्रतीक को देखता है तो वह उतना ही शांत या क्रोधित लगेगा जितना कि चर्चा की जा रही है’।

इसके साथ ही उन्होंने अपने तीसरे और आखिरी ट्वीट में कहा है कि,’यदि सारनाथ के प्रतीक को बढ़ाया जाए या संसद के नए भवन के प्रतीक को उस आकार में छोटा कर दिया जाए तो कोई अंतर नहीं होगा।’