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Champai Soren Is Joining BJP To Protect Tribals : आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं चंपई सोरेन

Champai Soren Is Joining BJP To Protect Tribals : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी मुझे जो जिम्मेदारी देगी उसे निभाते हुए आदिवासियों के हित में कार्य करूंगा। आज आदिवासियों का अस्तित्व मिटता जा रहा है और उनकी जनसंख्या घटती जा रही है, मैं बीजेपी के माध्यम से पूरे देश और झारखंड में इस मुद्दे को उठाऊंगा। इससे पहले चंपई ने शिबू सोरेन को एक पत्र में अपनी व्यथा सुनाते हुए जेएमएम छोड़ने का कारण बताया।

नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का कहना है कि बीजेपी में शामिल होकर मैं आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा करूंगा। बीजेपी मुझे जो जिम्मेदारी देगी उसे निभाते हुए आदिवासियों के हित में कार्य करूंगा। चंपई ने कहा कि है उन्होंने बहुत सोच विचार कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है। आज आदिवासियों का अस्तित्व मिटता जा रहा है और उनकी जनसंख्या घटती जा रही है, मैं बीजेपी के माध्यम से पूरे देश और झारखंड में इस मुद्दे को उठाऊंगा। चंपई कल यानी 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होने वाले हैं।

चंपई ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन को बुधवार को पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने का कारण बताया था। चंपई ने लिखा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की वर्तमान कार्य शैली एवं नीतियों से क्षुब्ध होकर पार्टी छोड़ने को विवश हूं। अत्यंत ही दुख से के साथ कहना पड़ रहा है कि आपके मार्गदर्शन में जिस पार्टी का सपना हम जैसे कार्यकर्ताओं ने देखा था एवं इसके लिए लोगों ने जंगलों, पहाड़ों एवं गांवों की खाक छानी थी, आज पार्टी अपने उसे दिशा से भटक चुकी है। जेएमएम मेरे लिए एक परिवार जैसा रहा एवं मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इसे छोड़ना पड़ेगा, लेकिन, पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम के कारण मुझे बहुत ही पीड़ा के साथ यह कठिन निर्णय लेना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते 18 अगस्त भी चंपई ने एक पत्र के माध्यम से अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है। आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा। इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। यही कारण है कि मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए बीजेपी से जुड़ने का फैसला लिया है।