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Chmpai Soren: JMM के खिलाफ चंपाई सोरेन ने खोला मोर्चा, बोले, ‘मेरे साथ हुआ अपमानजनक व्यवहार, अब मैं विकल्प तलाशने को मजबूर’

Chmpai Soren: चंपई सोरेन ने कहा कि चार दशकों के राजनीतिक सफर में यह पहली बार है जब वे भीतर से टूट गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और वे आत्म-मंथन में जुटे रहे। सत्ता की लालसा से परे, वे अपने आत्म-सम्मान को ठेस लगने से दुखी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के लिए समर्पित होकर काम किया, लेकिन हाल ही में उनके कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया, जो उन्हें बेहद अपमानजनक लगा।

नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक और बगावती पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी से नाराजगी व्यक्त की है। बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच, सोरेन ने अपने पोस्ट में पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यह व्यवहार उन्हें आहत कर गया और उनकी आंखों में आंसू ला दिए, लेकिन उनके साथियों को केवल सत्ता की चिंता थी। उन्होंने महसूस किया कि पार्टी में उनका कोई स्थान नहीं रहा, जबकि उन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया था। इस दौरान कई घटनाएं घटीं, जिन्हें वे फिलहाल सार्वजनिक नहीं करना चाहते, लेकिन इतना अपमान झेलने के बाद उन्हें वैकल्पिक मार्ग की तलाश करनी पड़ी।


चंपई सोरेन ने कहा कि चार दशकों के राजनीतिक सफर में यह पहली बार है जब वे भीतर से टूट गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और वे आत्म-मंथन में जुटे रहे। सत्ता की लालसा से परे, वे अपने आत्म-सम्मान को ठेस लगने से दुखी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के लिए समर्पित होकर काम किया, लेकिन हाल ही में उनके कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया, जो उन्हें बेहद अपमानजनक लगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ सदस्य होने के बावजूद, उन्हें केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कोई भूमिका नहीं दी गई। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पार्टी सुप्रीमो सक्रिय होते, तो हालात शायद अलग होते। विधायक दल की बैठक में उनसे इस्तीफा मांगा गया, जिसे उन्होंने तत्काल दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट ने उन्हें भीतर से हिला दिया।


चंपई सोरेन ने अपने जीवन के नए अध्याय की घोषणा करते हुए कहा कि उनके पास अब तीन विकल्प हैं – राजनीति से संन्यास लेना, अपना अलग संगठन खड़ा करना, या किसी अन्य साथी के साथ आगे बढ़ना। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने जो भी निर्णय लिए, उनका मूल्यांकन राज्य की जनता करेगी।