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Swami Prasad Maurya: पिता स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव की दोस्ती में संघमित्रा ने फंसाया पेच, हो सकता है दोनों में टकराव
रामचरितमानस की चौपाइयों को दलित और महिला विरोधी बताने का विवादित बयान देने वाले सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए आने वाले दिन बड़ी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की ये मुश्किल उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बढ़ा सकती हैं।
लखनऊ। रामचरितमानस की चौपाइयों को दलित और महिला विरोधी बताने का विवादित बयान देने वाले सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए आने वाले दिन बड़ी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की ये मुश्किल उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बढ़ा सकती हैं। हालात ऐसे बन सकते हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद के बीच टकराव भी हो सकता है। टकराव के आसार स्वामी प्रसाद की बेटी और बदायूं से बीजेपी की सांसद संघमित्रा के ताजा बयान से लग रहे हैं। न्यूज चैनल एबीपी के मुताबिक संघमित्रा ने बयान दिया है कि वो अगला लोकसभा चुनाव एक बार फिर बदायूं से ही लड़ेंगी और बीजेपी के टिकट पर ही लड़ने की तैयारी है।
संघमित्रा ने ये भी कहा कि वो बदायूं में लगातार काम करती रही हैं और कर रही हैं। स्वामी प्रसाद की बेटी का ये बयान अखिलेश यादव और उनके पिता के बीच टकराव की वजह इसलिए बन सकता है, क्योंकि अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव पिछली बार बदायूं सीट से ही लोकसभा चुनाव लड़े थे और संघमित्रा से हार गए थे। उस वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी के साथ थे और यूपी में मंत्री थे। अब अगर संघमित्रा मौर्य बदायूं से फिर बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ती हैं, तो स्वामी प्रसाद के लिए बेटी और अखिलेश यादव के बीच एक का साथ देने को चुनना होगा।
इस तरह बेटी संघमित्रा मौर्य की वजह से स्वामी प्रसाद दोराहे पर खड़े हो सकते हैं। अगर वो बेटी का साथ नहीं देते, तो परिवार में रार होगी और अगर अखिलेश का नहीं देते, तो सपा में उनका रहना मुश्किल हो सकता है। ऐसे आसार कम ही हैं कि अखिलेश यादव बदायूं सीट से संघमित्रा मौर्य को सपा का टिकट देंगे। संघमित्रा ने पिता स्वामी प्रसाद के बीजेपी छोड़ने के बाद भी पार्टी का साथ अब तक नहीं छोड़ा है। यानी अब तक वो यही संकेत देती रही हैं कि पिता की राजनीतिक राह से उनकी राह जुदा है।