
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने एलान कर दिया है कि चंद्रयान-4 की लॉन्च तारीख क्या होगी। केंद्र में विज्ञान और तकनीकी मंत्री जीतेंद्र सिंह ने बताया है कि चंद्रयान-4 को साल 2027 में लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-4 चांद पर उतरकर वहां से पत्थर और मिट्टी के सैंपल लेकर धरती पर लौटेगा। अब तक चांद से सैंपल लाने में अमेरिका, रूस और चीन ही सफल हुए हैं। अगर चंद्रयान-4 भी सफल होता है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में जीतेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान-4 के दो हिस्से अलग-अलग अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। अंतरिक्ष में ही चंद्रयान-4 के दोनों हिस्सों को जोड़ा और चांद के लिए रवाना किया जाएगा।
“Gaganyaan is completely indigenous, the technology is indigenous, and the astronauts will also be Indians. An Indian Rakesh Sharma had gone to the space, but it was a Soviet mission. If you talk about the status of #Gaganyaan, test flights are being conducted currently. Before… pic.twitter.com/MZWoSBvu3I
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) February 6, 2025
केंद्रीय मंत्री ने ये जानकारी भी दी कि इसरो का गगनयान मिशन 2026 में लॉन्च होगा। गगनयान मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। भारत के अंतरिक्ष यात्री यान में बैठकर धरती का चक्कर लगाएंगे और फिर उनको सुरक्षित लाया जाएगा। इससे पहले इसी साल व्योममित्र नाम के रोबोट को गगनयान मॉड्यूल में बिठाकर इसरो के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में भेजेंगे। गगनयान से इंसान को अंतरिक्ष में भेजने पर भी भारत चुनिंदा देशों में अपना नाम शामिल कराएगा। जीतेंद्र सिंह ने बताया कि अगले साल यानी 2026 में भारत समुद्रयान अभियान भी लॉन्च करने वाला है। इस यान के जरिए तीन वैज्ञानिक समुद्र में 6000 मीटर की गहराई पर जाएंगे। भारत के समुद्रयान मिशन के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में जानकारी दी थी।
जीतेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो की स्थापना तो 1969 में ही हो गई थी, लेकिन संगठन का पहला रॉकेट लॉन्चपैड 1993 में बन सका था। उन्होंने बताया कि इसरो का दूसरा लॉन्चपैड फिर एक दशक बाद 2004 में बन सका। मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार ने इसरो के तीसरे लॉन्चपैड को बनाने की मंजूरी दी है। इससे पहली बार और भारी रॉकेट अंतरिक्ष में भेजे जा सकेंगे। वहीं, तमिलनाडु के तूतीकोरिन से छोटे सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए नया साइट बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत अंतरिक्ष उद्योग से अभी 8 अरब रुपए की आय कर रहा है। इसे अगले 10 साल में बढ़ाकर 44 अरब करे का लक्ष्य है।