नई दिल्ली। रामनगरी अयोध्या में शुरू हुआ जमीन की हेराफेरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। लागतार जमीन की हेराफेरी के मामले सामने आ रहे हैं। अब ताजा प्रकरण श्रीश्री रविशंकर से जुड़ा बताया जा रहा है। खबर है कि आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के ट्रस्ट को महज पांच बिस्वा जमीन पांच बिघा बताकर बेच दी गई। जिसे संज्ञान में लेने के बाद सहायक भूलेख अधिकारी ने जमीन का नामांतरण रद्द करने का आदेश दिया है। बता दें कि इस जमीन की रजिस्ट्र 07 फरवरी, 2022 को हुई थी। यही नहीं, जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल कलाम निवासी घोसियाना पहाड़गंज से यह जमीन व्यक्ति विकास केंद्र इंडिया ट्रस्ट के चेयरमैन प्रसन्ना मंजूनाथ प्रभु ने खरीदी थी। अब आपके जेहन में यह सवाल उठ सकता है कि यह पूरा माजरा प्रकाश कैसे आया, तो आइए आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
कैसे आया प्रकाश में मामला
तो मामला इस तरह से प्रकाश में आया, जब चेयरमैन प्रसन्ना ने खतौनी 1388 से 1391 फसली के खेवट खाता संख्या 79 गाटा संख्या में 5.312 हेक्टेयर को अपने नाम दर्ज किए जाने का वाद सहायक अभिलेख अधिकारी (एआरओ) अयोध्या के न्यायालय में दायर किया, तो इस हेरफेर के बारे में जानकारी सामने आई। वहीं, एआरओ ने मूल बंदोबस्त व 1359 फसली खसरा से इस नंबर का मिलान करवाया तो पता चला कि यह जमीन कुल 0.16 हेक्टेयर (करीब पांच बिस्वा) ही है।
यही नहीं, जांच में सामने आया कि जमीन डूब क्षेत्र में है, जिस पर निर्माण कार्य भी शासन की तरफ से प्रतिबंधित है। जमीन की खरीद-फरोख्त भी प्रतिबंधित है। अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर जब जमीन की खरीद ही प्रतिबंधित है, तो भला इसकी खरीद- फरोख्त कैसे मुमकिन हो गई। बहरहाल, यह तफ्तीश का विषय है। अब तफ्तीश में आगे चलकर क्या कुछ सच्चाई निकलकर सामने आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम