
अमरावती। काफी दिन से बहस चल रही है कि संविधान सर्वोच्च है या संसद? इस पर सीजेआई बीआर गवई ने अपनी राय दी है। महाराष्ट्र में अपने गृहनगर अमरावती में बुधवार को हुए सम्मान समारोह में चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि भारत में संविधान ही सर्वोच्च है। बार एसोसिएशन की तरफ से अपने लिए रखे सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि हमेशा इस पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र के तीन अंगों विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका में कौन सर्वोच्च है? उन्होंने कहा कि कई लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे हिसाब से भारत का संविधान सबसे ऊपर है।
सीजेआई गवई ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के हिसाब से ही काम करते हैं। उन्होंने कहा कि संसद को संविधान में बदलाव करने का अधिकार है, लेकिन वो संविधान की मूल संरचना में बदलाव नहीं कर सकती। सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि वो हमेशा मौलिक अधिकारों और संविधान के साथ खड़े रहे। उन्होंने बुलडोजर मामले में दिए गए फैसले का उदाहरण भी दिया। सीजेआई ने ये भी कहा कि सरकार के खिलाफ फैसला देने भर से कोई जज स्वतंत्र नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि हमारे पास शक्ति ही नहीं, जिम्मेदारी भी है। बीआर गवई ने कहा कि हर जज को याद रखना चाहिए कि हम नागरिक अधिकारों, संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। किसी जज को ये सोचकर नहीं चलना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे। सीजेआई ने कहा कि ये फैसला लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता।
बता दें कि इसी साल अप्रैल में उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद को सर्वोच्च बताया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति ने कहा था कि संसद से ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं है। इसकी वजह उन्होंने बताई थी कि चुनकर आए सांसद जनता के प्रतिनिधि होते हैं। धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में अपनी राय की आलोचना के बारे में कहा था कि किसी संवैधानिक पदाधिकारी की ओर से बोला गया हर शब्द सर्वोच्च राष्ट्रीय हित से निर्देशित होता है। उन्होंने कहा था कि संविधान कैसा होगा और क्या संशोधन होंगे, ये तय करने का अधिकार सांसदों का है। उन्होंने कहा था कि सांसदों से ऊपर कोई भी नहीं है। अब सीजेआई की तरफ से संविधान को संसद से ऊपर बताए जाने से इस मामले में फिर बहस छिड़ सकती है।