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दावा भारत में दिसंबर तक 40 प्रतिशत लोग होंगे कोरोना संक्रमित, फिर भी है एक अच्छी खबर, आप भी जानें

भारत में कोरोनावायरस (coronavirus) का प्रकोप अभी तक थमा नहीं है। देश में रोजोना कोविड-19 (Covid-19) के हजारों नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस (coronavirus) का प्रकोप अभी तक थमा नहीं है। देश में रोजोना कोविड-19 (Covid-19) के हजारों नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं। महामारी निजात पाने के लिए हर कोई एक आदर्श वैक्सीन की उम्मीद बांधे बैठा है। इसी बीच एक प्राइवेट लैब ने भारत की 26 प्रतिशत आबादी के कोरोना संक्रमित होने की संभावना जताई है।

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‘थायरोकेयर लैब्स’ के एमडी डॉ। ए वेलुमनी ने उनकी संस्था द्वारा सेरोलॉजिकल टेस्ट से जुटाए आंकड़ों के आधार पर ऐसा दावा किया है। उन्होंने रॉयटर्स को बताया कि 2.7 लाख लोगों की सेरोलॉजिकल टेस्ट रिपोर्ट बताती है कि यहां 26 फीसद लोग पहले ही कोरोनावायरस का शिकार हो चुके हैं।

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डॉ वेलुमनी का कहना है कि संक्रमित लोग अपने खून में एंटीबॉडीज को न्यूट्रिलाइज कर रहे हैं, जो कि इम्यून घातक वायरस से लड़ने के लिए शरीर में अपने आप जेनरेट करता है। डॉ वेलुमनी का यह आकलन बताता है कि देश में हर चौथा इंसान वायरस से रिकवर हो चुका है और अब वे इससे सुरक्षित हो सकते हैं।

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जुलाई में कंपनी ने 15 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने का दावा किया था, लेकिन ये 53,000 लोगों पर हुआ एक छोटा सा सैंपल था। यह दावा इस बात की ओर भी इशारा करता है कि भारत में लोग धीरे-धीरे हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ रहे हैं। डॉ वेलुमनी ने रॉयटर्स को बताया कि यह अपेक्षा से बहुत अधिक है। एंटीबॉडी की उपस्थिति बच्चों सहित सभी आयु वर्ग के लोगों में समान है।

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डॉ वेलुमनी का कहना है कि अगर भारत में इंफेक्शन से रिकवरी की रफ्तार यही रही तो दिसंबर तक करीब 40% लोग कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी जेनरेट कर लेंगे। अब एक अच्छी खबर ये होगी कि जितने ज्यादा लोग वायरस से बचेंगे, खराब इम्यूनिटी वाले उतने ज्यादा लोगों को वायरस से खतरा कम हो जाएगा।

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हालांकि ऐसे लोगों को वायरस से असल में मुक्ति वैक्सीन आने के बाद ही मिलेगी। इन सेरोलॉजिकल टेस्ट के माध्यम से ज्यादा इम्यूनिटी वाले लोगों को ढूंढना फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए उपयोगी साबित हो सकता है, जो कोविड-19 के मामलों और अन्य सार्वजनिक वातावरण में सुरक्षित रूप से काम कर सकते हैं।

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इतना ही नहीं, यह संक्रमित रोगियों की प्लाज्मा थेरेपी के लिए रक्तदान करने के इच्छुक लोगों की संख्या में भी वृद्धि करेगा। साथ ही रोगियों में इम्यूनिटी रिस्पॉन्स कितनी देर तक रहता है, इस तरह के बड़े सवालों के भी जवाब मिलेंगे।